पतहर

पतहर

कोरोना से लड़ने में महर्षियों द्वारा बताई गयी प्राचीन जड़ी-बूटियां आज भी प्रासंगिक - कुलपति

*वेदों में लोक चेतना के कारण हमारी विरासत अक्षुण्ण बनी हुई है

*संस्कृत वेबिनार के द्वारा वर्तमान समाज में संस्कृत की उपयोगिता पर हुआ विमर्श

*संस्कृत वेबिनार श्रृंखला-३ में देश-विदेश के विद्वान् हुए सम्मिलित

गोरखपुर।कोरोना महामारी से उत्पन्न समस्या के कारण पूरा देश लॉकडाउन है। एक तरफ कोरोना वायरस ने देश से बहुत कुछ लिया तो दूसरी तरफ भारत जैसे देश में शिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति का संचार उत्पन्न हुआ। इस समय लोग संचार के नूतन आयामों का उपयोग कर घर बैठे अध्ययन-अध्यापन के अलावे शास्त्र चर्चा में तल्लीन दिखाई दे रहे हैं। भारत सरकार के पूर्व शिक्षाविद् सदस्य डॉ.सदानन्द झा के मुख्य सम्पादकत्व में सारस्वत निकेतनम् के अधीन प्रकाशित प्रथम संस्कृत ई जर्नल जाह्नवी एवं दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्त्वावधान में संस्कृत वेबिनार का आयोजन किया गया।

  कार्यक्रम के आयोजक प्रोफेसर मुरलीमनोहर पाठक ने बताया कि वर्तमान समाज में संस्कृत साहित्य एवं शास्त्रों की उपयोगिता विषय पर अन्ताराष्ट्रिय संस्कृत वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसमें कुल 379 प्रतिभागी पंजीकृतरुप से सम्मलित हुए। जिसमें विदेश के आठ प्रतिभागियों ने भाग लिया।
वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.विजय कृष्ण सिंह ने कहा कि संस्कृत ही विश्व की एक मात्र भाषा है जो सभी को एक सूत्र में बांधती है। उन्होंने बताया कि भारत के कई ऋषियों ने हमारे अध्यात्म एवं विरासत का व्यापक प्रचार किया है। कुलपति प्रो.सिंह ने कोरोना महामारी से लड़ने के लिए भारतीय महर्षियों द्वारा बताई गई प्राचीन जड़ी-बूटियों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
 बतौर मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रो. बालकृष्ण शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि लाकडाउन की इस घड़ी में इस तरह के कार्यक्रम अत्यन्त ही लाभकारी सिद्ध होंगे। उन्होंने कालिदास के साहित्य में लोकविमर्श पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि कालिदास के अनुसार लोकचरित त्रैगुण्योद्भव एवं नाना रसयुक्त होना चाहिए।
 कार्यक्रम में सारस्वत अतिथि श्रीलाल बहादुर संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली के पूर्व कुलपति प्रो.भवेंद्र झा ने व्याकरणदिशा शब्दब्रह्मस्वरूपम् पर चर्चा करते हुए कहा कि व्याकरण दर्शन के अनुसार शब्द साक्षात् ब्रह्मस्वरूप होता है।साधु शब्दों के उच्चारण से ब्रह्मज्ञान अर्थात मोक्ष की प्राप्ति सहज ही हो जाती है। 
वनारस हिंदू विश्वविद्यालय के वैदिक विज्ञान केंद्र के समन्वयक एवं वेदविभागाध्यक्ष प्रो. उपेंद्र कुमार त्रिपाठी ने वेदों में पर्यावरणीय चेतना पर  विमर्श किया। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर परिसर के प्रो. रमाकांत पांडेय ने साहित्य शास्त्र में समाजोपयोगी तत्त्वों पर विचार प्रकट करते हुए कहा कि शास्त्रों में जो विष्णु का स्वरूप है, वही काव्य में आकर मोहिनी रूप धारण करता हुआ समाज एवं लोक से जुड़ जाता है।
 संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय,वाराणसी के व्याकरण विभागाध्यक्ष प्रो.ब्रजभूषण ओझा ने वेदार्थनिर्णय में व्याकरण की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि व्याकरण के ज्ञान से ही वेद के अर्थ को समझा जा सकता है तथा यह पवित्रतम एवं समस्त विद्याओं का प्रकाशक है। पूर्व प्राचार्य उच्च शिक्षण संस्थान मध्य प्रदेश के डॉ. मुरलीधर चाँदनीवाला ने वैदिक साहित्य में लोक चेतना पर प्रकाश डालते हुए अनेक वैदिक मंत्रों को उद्धृत किया, जो समाज के लिए अत्यन्त उपयोगी हैं।
 नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के निकोलस लूया स्वी यंग ने पाशुपत दर्शन के आधार पर भुक्ति और मुक्ति का प्रतिपादन करते हुए यह स्प्ष्ट किया कि शिवोपदेश से ही दुःखों से मुक्ति मिल सकती है।

 संस्कृत वेबिनार शृङ्खला के तृतीय चरण में रविवार को सम्मिलित आगत अतिथियों का स्वागत जाह्नवी संस्कृत ई-जर्नल के संपादक सह प्रकाशक डॉ. बिपिन कुमार झा ने किया। मंगलाचरण प्रतीक्षा मिश्रा ने एवं कुलगीत का गायन डॉ पूजा मिश्रा ने किया। प्रास्ताविक भाषण डॉ.नरेंद्र ने प्रस्तुत किया।
 कार्यक्रम का संचालन डॉ.लक्ष्मी मिश्रा एवं डॉ.मीनाक्षी ने संयुक्त रूप से किया तथा धन्यवाद ज्ञापन करते हुए गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रो.मुरली मनोहर पाठक ने छन्दोबद्ध संस्कृत पद्यों के माध्यम से सभी अतिथियों एवं नेट से जुड़े हुए प्रतिभागियों का आभार माना।
उन्होंने कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी विभागीय सहयोगियों को श्रेय दिया तथा कुलपति जी का विशेष आभार माना। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ.रामसेवक झा, डॉ. नारायणदत्त मिश्रा, डॉ. दिव्यानंद झा , डॉ.श्लेषा सचिन्द्र, डॉ.राधावल्लभ शर्मा, डॉ.श्रीनाथधर द्विवेदी की भूमिका अहम थी।
Post by:
#Vibhootinarayan ojha
Email:
hindipatahar@gmail.com
Mo.9450740268