पतहर

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मनुष्यता के पक्ष में सशक्त आवाज है 'सलीब पर सच'

 संदीप कुमार सिंह

बोधि प्रकाशन जयपुर से 112 पृष्ठों में प्रकाशित "सलीब पर सच" सुभाष राय का 59 कविताओं का पहला संकलन है । वे कवि,चिंतक,विश्लेषक,पत्रकार और संपादक के रूप में खासे चर्चित तो हैं ही एक बेहतरीन दोस्त,हमसफर,सहचर और जिंदादिली के लिए भी अपने मित्रों के बीच जाने-पहचाने जाते हैं । सच को सच और गलत को गलत कहने का उनमें अपार साहस है । किसी खांचे में बंधकर रहना उन्हें स्वीकार नहीं है । अच्छे कामों के लिए वे अपने विरोधियों कीभी प्रशंसा करते हुए देखे जाते हैं और गलत की तरफदारी करने पर मित्रों को भी फटकारने में संकोच नहीं करते । ऐसी ही निष्ठा,इमानदारी,मनुष्यता,और साहस के अपूर्व रसायन के मिश्रण से उनके व्यक्तित्व का निर्माण हुआ है । सृजन कर्म को लेकर भी उनका स्टैंड साफ है । किसी भी प्रकार की यातना,पीड़ा,दर्द,फरेब,वंचना से उपजी व्यथा जब असहनीय हो जाती है तब कविता चिंगारी की तरह फूटती है । उनके इस तरह के व्यक्तित्व को निर्मित करने में कविताओं का बड़ा रोल है । कविता उनके भीतर प्राण की तरह बसती है । वे जो कुछ भी हैं जैसे भी हैं कविता के ही कारण हैं । 'मेरा परिचय' कविता में वे उन अनगिनत लोगों की नुमाइंदगी करते हैं जो लगातार भीषण यातनाओं से उबल रहे हैं । वहीं शब्दों की अभिव्यक्ति पर वे गहन विचार-विमर्श करते हुए देखे जाते हैं । नाटक,कोई तो जिंदा होगा,गुस्साया सूरज,सपने क्या है तुम्हारे पास, सागर,सावधान रहना दोस्त ,आदि कविताएं मन में नया भावबोध जगाती हैं । आशा और विश्वास से लबरेज सुभाष का कवि मन मंजिल को पाने की शुभाशंषा में अनवरत परिश्रम और सपनों की तैयारी को महत्वपूर्ण मानता है । जो लीक छोड़ कर चलते हैंअनवरत /अपने सपनों का पीछा करते हुए /सिर्फ वे ही गाड़ पाते हैं /नए सिरे पर विजय के ध्वज /सपनों के पांव ही रौंद पाते हैं मंजिल को । 'गांव की तलाश' कविता में गांव के बदलते परिवेश का चित्रांकन हुआ है । तेजी से बदलते समय में गांव भी अब पहले जैसे नहीं रहे । भूमंडलीकरण ने गांवों को अपने भीतर जज्ब कर लिया । अब वहां भी वैसा अपनापा नहीं दिखाई पड़ता जैसा पहले देखा जाता था । कवि का मन इसी बात को लेकर चिंता प्रकट करता है । मैं परेशान हूं उस मिट्टी के लिए/ जिससे मैं बना हूं जिससे मैं जिंदा हूं । अकाल के बादल, तलाश,मरजीवा,कलमबंद बयान,शिनाख्त,मुल्क का चेहरा,हवा में डर,आदि कविताएं उनके चिंतन सृजन के नए आयाम को प्रकट करती हैं । इतिहास के अनुत्तरित प्रश्न,तुम्हारा नचिकेता,प्रेम मुझ में तुम नया रचो,झूठा सौदा,घर का जोगी, आज की गीता,कबीर है कहां,हे राम!सुनो तुम आदि कविताएं संग्रह को विशिष्ट बनाती हैं । कुल मिलाकर उनकी कविताएं समकालीन समय,समाज और परिवेश का सहज चित्र खींचती हैं और मनुष्य की गझिन आस्था को सलाहियत के साथ दरपेश करती हैं ।
चित्र में ये शामिल हो सकता है: बादल और पाठ
पुस्तक परिचय
काव्य संग्रह- सलीब पर सच
कवि - सुभाष राय
प्रकाशक- बोधि प्रकाशन,जयपुर
पृष्ठ- 112,मूल्य-120 

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