नागरी प्रचारिणी सभा, देवरिया द्वारा नागरी पुष्प 02-नागरी काव्य देहरी पुस्तक का लोकार्पण का कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसके मुख्य अतिथि डॉ प्रेमशीला शुक्ल रहीं। इस अवसर पर मुख्य रूप से गीतकार भूषण त्यागी एवं अर्पण कुमार, प्रबन्धक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, गोरखपुर का काव्य पाठ भी हुआ। इसके पूर्व पुस्तक का लोकार्पण प्रख्यात साहित्यकार डा. अरुनेश नीरन के कर कमलों द्वारा उनके देवरिया खास स्थित आवास पर संपादक मंडल की उपस्थिति में हुआ।कार्यक्रम का शुभारम्भ बृजेन्द्र नाथ त्रिपाठी द्वारा वाणी वंदना से हुआ. "स्वागत है श्रीमान आपका आये मेरे द्वारे" से धर्मदेव सिंह आतुर ने अतिथियों का स्वागत किया। इसके बाद सभा के मंत्री डॉ अनिल कुमार त्रिपाठी ने अपने वक्तव्य में कहा कि मेरा यह सौभाग्य है कि मंत्री के रूप में सभा के ग्रंथ माला भाग 02 जो नागरी काव्य देहरी के रूप में प्रकाशित है, को आपको समर्पित करने का अवसर मिला। आप सबने हमारा सहयोग किया इसके लिए मेरा आभार। मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि साहित्य के लिए आप जो कोई भी कार्य करेंगे उसमें मैं सहयोग करुंगा।
तत्पश्चात आज के कवि के रूप में अर्पण कुमार ने सभी तुम हो, मैं हूं आवेग दृष्टि संप्रेषण और पिता को संबोधित करते हुए पिता मेरे अकेले नहीं हैं, लेकिन जब सिर रखती कंधे पर उनके तों वे मेरे है तो कोई तड़के जागा है आदि कविताओं को सुनाकर सबको आह्लादित कर दिया। मुख्य अतिथि डॉ प्रेमशीला शुक्ल ने अपने वक्तव्य में कहा जब "एको हम बहुस्यामि" होता है तब कविता का जन्म होता है, साहित्य सृजन होता है। वे सौभाग्यशाली हैं जिनकी रचनाएं इस पुस्तक में संकलित हैं। उसके बाद आज के कवि रुप में ही भूषण त्यागी ने "है स्वयं से शिकायत यही रात दिन कुछ लिखा क्यों नहीं जिन्दगी के लिए", और "आलोक नहीं मरने वाला, आलोक नहीं मिटने वाला" गीत प्रस्तुत कर सबको भाव विभोर कर दिया। और भरपूर प्रशंसा बटोरी।
अंचल भारती के सम्पादक जयनाथ मणि त्रिपाठी ने अपने आशीर्वचन में कहा यह देखकर सुखद आश्चर्य हो रहा है कि सभा अपना प्रकाशन कर सकने में अब सक्षम हो गयी है। यह हम सबके लिए गौरव की बात है। आज के समारोह की अध्यक्षता कर रहे बृद्धिचन्द्र विश्वकर्मा ने अतिथियों और श्रोताओं के प्रति सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। इस आयोजन का कुशल एवं भावपूर्ण संचालन गीतकार सरोज कुमार पाण्डेय ने किया।
समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।इस अवसर पर सम्पादक मंडल के सहयोगी डॉ दिवाकर प्रसाद तिवारी, इन्द्र कुमार दीक्षित, डॉ मधुसूदन मणि त्रिपाठी, उद्भव मिश्र, बृजेन्द्र मिश्र, सहित श्वेतांक करण त्रिपाठी, डॉ सौरभ श्रीवास्तव, रवीन्द्र नाथ तिवारी, जगदीश उपाध्याय, संजय कानोडिया, रामनिवास पाण्डेय, दुर्गा पाण्डेय, डॉ शकुन्तला दीक्षित, बृजेश पाण्डेय एडवोकेट, डॉ राधेश्याम शुक्ल, वरुण पाण्डेय, रजनीश मोहन गोरे, आदि गणमान्य उपस्थित रहे।
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2 Comments
hii mene apki blog post padi. or mujhe sach me bahut achi lagi. mene abhi ek site banaya hai , check kijiye na . Dino Game Unlocked
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