पतहर

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हिन्दी को राष्ट्रीय जरूरत की भाषा के रूप में विकसित करने की आवश्यकता : प्रो. चित्तरंजन मिश्र

पतहर पत्रिका के नये अंक का लोकार्पण कार्यक्रम आयोजित

देवरिया। बुद्धवार को नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा पतहर पत्रिका के नये अंक का लोकार्पण कार्यक्रम आयोजित किया गया। वही महाराजगंज में जवाहरलाल लाल नेहरू स्मारक पीजी कालेज में हिन्दी विभाग द्वारा भी एक लोकार्पण का आयोजन किया गया, जहाँ  गोरखपुर  विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. चित्तरंजन मिश्र ने लोकार्पण किया।

हिन्दी राष्ट्रीय आकांक्षाओं की भाषा है राष्ट्रीय चेतना की भाषा है। स्वतंत्रता आन्दोलन एवं संस्कृत की भाषा है। आज भारत की सभी भाषाएँ राष्ट्रभाषाएँ है उनमें से हिन्दी एक है क्योंकि कोई भी भाषा समुदाय भावनाओं और आवश्यकताओं की अभिव्यक्ति भाषा से ही होती है।


गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के हिन्दी विभाग के पूर्व आचार्य/विभागाध्यक्ष प्रो० चितरंजन मिश्र  ने हिन्दी दिवस पर आयोजित गोष्ठी एवं लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किया। प्रो मिश्र ने कहा कि हिन्दी को राष्ट्रीय जरूरत की भाषा के रूप में विकसित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह है कि भाषा का सवाल राजनीति से शुरू होकर राजनीति का विषय बन गया है। कोई भी भाषा पूर्ण नहीं है जिससे सम्पूर्ण ज्ञान-विज्ञान परिलक्षित आज हिंदी की स्वीकार्यता पूरे विश्व में जिस प्रकार बाजार सिनेमा और साहित्य के माध्यम से हो रहा है निश्चित रूप से इसके नए कलेवर के साथ जन जन तक पहुंच रही है किंतु अभी भी सरकारी कामकाज की भाषा नहीं बन पा रही है जिस दिन न्यायालय में सरकारी कार्यालयों में कार्य की भाषा बन जाएगी हिंदी की सहजता स्वीकार्यता बढ़ जाएगी । 

संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए प्राचार्य प्रो० दिग्विजय नाथ पाण्डेय ने कहा कि हिन्दी हमारे राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक है। अंग्रेजी या अंग्रेजी पढ़ने वाला व्यक्ति हमसे श्रेष्ठ है यह  हीनता हमारे विकास में बाचक है। हिन्दी को गौरवपूर्ण भाषा बनाने के लिए हमें यह कार्य अपने घर से प्रारम्भ करना चाहिए। अध्यक्षता करते हुए प्रबंधक डॉ उत्तराम भट्ट ने कहा कि हिन्दी को तकनीकी के अनुकूल नये नये साफ्टवेयर विकसित किये जाने चाहिए जिससे बैंकों, न्यायालयों और कार्यालयों में कार्य सुगमता से सम्पादित हो सके। 

गोष्ठी के प्रारम्भ में हिन्दी विभागध्यक्ष डॉ0 राणा प्रताप तिवारी ने राष्ट्रभाषा हिन्दी चुनौतिया एवं अवसर विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन हुए कहा कि हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित किया जाना एक चुनौती है। इस अवसर पर हिन्दी साहित्य की विभूति नारायण ओझा के संपादन में निकलने वाली प्रमुख पत्रिका पतहर का विमोचन भी किया।

संगोष्ठी का संचालन हिन्दी के डॉ० विजय आनन्द मिश्र ने किया। संगोष्ठी को डॉ0 शैलेन्द्र उपाध्याय, गोपाल सिंह, डॉ नन्दिता मिश्रा, डॉ० अशक वर्मा, गुलाबचन्द्र, प्राची कुशवाहा, अपर्णा राठी, सुनील तिवारी, डॉ० ज्योत्सना,पूर्व प्राचार्य प्र० उमेश प्रसाद यादव, डॉ0 अजय कुमार मिश्र, मुखा नियंता राहुल कुमार सिंह, दिवाकर सिंह ने सम्बोधित किया। 

उधर देवरिया में कार्यक्रम की अध्यक्षता आचार्य परमेश्वर जोशी ने की, विशिष्ट अतिथि बीएचयू हिन्दी विभाग के आचार्य एवं साखी पत्रिका के संपादक प्रो. सदानंद शाही ने कहा कि हिन्दी दिवस के अवसर पर पतहर जैसी हिन्दी पत्रिका का लोकार्पण होना हिन्दी के विकास की कड़ी है । उन्होंने कहा कि लघु पत्रिकाएं समाज को दिशा देने का काम करती है। पतहर जैसी पत्रिका ने कम समय में अधिक काम किया है। इस पत्रिका ने कई साहित्यकारों पर विशेषांक निकाल कर अच्छा साहित्य देने का काम किया। पतहर वैसे तो समृद्ध शाली पत्रिका के रूप में स्थापित हो रही है बावजूद आंशिक सुधार की जरूरत है। 


 हिन्दी दिवस पर आयोजित लोकार्पण समारोह में आचार्य परमेश्वर जोशी ने कहा कि पतहर जनपद से निकल कर दूर तक पठनीय सामग्री के साथ पहुँच रही है पत्रिका की रचनाधर्मिता ने इसे उपयोगी बना दिया है।

साहित्यकार व संपादक श्री जयनाथ मणि ने पत्रिका को जीवंत बनाये रखने के लिए लोगों से सहयोग की अपील की.

 इस अवसर पर इन्द्र कुमार दीक्षित, डॉ चतुरानन ओझा, सरोज पाण्डेय, डॉ अमूल्य महांति, सौदागर सिंह, डॉ शकुन्तला दीक्षित, डॉ अनिल कुमार त्रिपाठी, उद्भव मिश्रा आदि साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे। पतहर के संपादक विभूति नारायण ओझा ने आभार व्यक्त किया तथा डॉ भावना ने संचालन किया।

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