* पतहर पत्रिका कार्यालय पर गणेश शंकर विद्यार्थी को दी गई श्रद्धांजलि
देवरिया। गणेश शंकर विद्यार्थी ने अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ आवाज उठाई थी। आज की मीडिया जहां साम्यवादी विचारों से परहेज करने की कोशिश में जुटी है, उन्होंने बोल्शेविज्म के महत्व को बताने वाले लेखों को अपने पत्रिका में स्थान दिया। उनकी पत्रिका से भगत सिंह भी जुड़े रहे और आजाद भारत के समाजवादी निर्माण पर चिंतन करते रहे।आज ना सिर्फ उन्हें याद करने बल्कि उनके विरासत को और मजबूत करने की जरूरत है।
उक्त बातें डॉ चतुरानन ओझा ने कही।वे सोमवार को बहादुरपुर स्थित साहित्यिक पत्रिका पतहर कार्यालय पर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी को श्रद्धांजलि दे रहे थे।
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(1890-1931) |
साहित्यिक पत्रिका पतहर के संपादक विभूति नारायण ओझा ने कहा कि गणेश शंकर विद्यार्थी ने आजादी के आंदोलन में अपनी लेखनी के बल पर अंग्रेजी शासकों की नींद हराम कर दिया था। आजादी के संघर्ष में विचारधारा और सांप्रदायिकता के मुद्दे पर साहस और निर्भीक पत्रकारिता करके देश की जनता को जागरूक व संगठित करने का काम विद्यार्थी ने किया।
उन्होंने कहा कि सन 1931 में सांप्रदायिक दंगे में वे शहीद हो गए थे। आज के पत्रकारों को गणेश शंकर विद्यार्थी के विचारों और लेखनी से प्रेरणा लेकर पत्रकारिता के गौरवशाली अतीत को बचाने का क्षमता भर प्रयास करना चाहिए।
कार्यक्रम को पत्रकार अजय राय,विनय कुमार राय, सुभाष यादव, रब्बुल करीम, प्रमोद राय आदि ने मुख्य रूप से संबोधित किया।
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