पतहर

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पतहर पत्रिका ने सन्नाटे को तोड़ने का काम किया : ज्ञानवती देवी

* परमानंद श्रीवास्तव साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर थे : प्रो केसी लाल
*  सम्मान व पतहर पत्रिका का विमोचन कार्यक्रम

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफ़ेसर कृष्ण चंद्र लाल ने आज कहा कि परमानंद श्रीवास्तव बड़े आलोचक होने के साथ बड़े कवि भी थे। पतहर पत्रिका ने उनके आलोचकीय व्यक्तित्व को  पूरे विवेक के साथ पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने का काम किया है। परमानंद श्रीवास्तव साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर थे।उन्हें एक आदर्श अध्यापक के रूप में भी प्रतिष्ठा प्राप्त थी।
लोकार्पण करते संजय श्रीवास्तव, कौस्तुभ, अपराजिता, चक्रपाणि ओझा, अन्विता श्रीवास्तव, श्रीमती ज्ञानमती देवी, विकास द्विवेदी, विभूति नारायण ओझा, कृष्ण चंद्र लाल, विपिन श्रीवास्तव, राजाराम चौधरी व अन्य 

  प्रो के सी लाल रविवार देर शाम सूरजकुंड स्थित स्व. डॉ परमानंद श्रीवास्तव के आवास पर आयोजित उनकी धर्मपत्नी श्रीमती ज्ञानवती देवी के सम्मान व देवरिया से प्रकाशित पतहर-पत्रिका के डां परमानंद श्रीवास्तव स्मरण अंक के विमोचन के मौके पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि पत्रिका के इस अंक में केवल प्रशंसनीय आलेख नहीं प्रकाशित किए गए हैं बल्कि लेखकों ने आलोचनात्मक विवेक के साथ उनका मूल्यांकन किया है। उन्होंने जीवन भर साहित्य को समृद्ध करने का काम किया।
श्रीमती ज्ञानवती देवी,प्रो केसी लाल, संपादक विभूति नारायण ओझा, अपराजिता, अन्विता श्रीवास्तव, चक्रपाणि ओझा, विकास द्विवेदी।
Pro.KC Lal
इस अवसर पर श्रीमती ज्ञानवती देवी ने कहा कि पतहर पत्रिका ने उन पर अंक प्रकाशित करके बहुत बड़ा सम्मान दिया है। उनके निधन के बाद से शून्य का वातावरण इस शहर में बन गया था। पतहर पत्रिका ने उस सन्नाटे को तोड़ने का काम किया है।
   उनकी बेटी डॉक्टर अपराजिता श्रीवास्तव व डॉ अन्विता श्रीवास्तव ने कहा कि पिताजी ने हम लोगों को बहुत कुछ दिया। एक स्वाभिमानी पिता, अध्यापक व व्यक्ति थे। उनकी विरासत को आगे बढ़ाने का काम हम तीनों बहनें लगातार करने का प्रयास कर रही हैं। पतहर पत्रिका का यह अंक बेहद संग्रहणीय व शोधार्थियों के लिए उपयोगी व लाभदायक सिद्ध होगा।
इस अवसर पर पतहर पत्रिका के संपादक विभूति नारायण ओझा ने उनकी धर्मपत्नी को स्मृति चिन्ह व पत्रिका की प्रति भेंट किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ अंगद कुमार सिंह ने तथा आभार चक्रपाणि ओझा ने किया।
 कार्यक्रम में मुख्य रूप से राजाराम चौधरी, विकास द्विवेदी,शोध छात्र क्रांति कुमार,अपराजिता श्रीवास्तव,अन्विता श्रीवास्तव, विपिन कुमार श्रीवास्तव, संजय श्रीवास्तव, कौस्तुभ श्रीवास्तव आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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