( मुकेश अंबानी की बेटी ईशा अंबानी )
ईशा मेरी बिटिया
तुम्हें शादी की शुभकामनाएं
तुम खुशनसीब हो
दुनिया के चंद दौलतमंदाें में एक
मुकेश अंबानी की बेटी हो
तुम्हारी शादी पर तुम्हारे बाप
पैसा पानी की तरह बहा रहे हैं
जैसे पैसा न हो
हाथ का मैल हो
तुम्हें करोड़ों का बंगला
उपहार में दिया जा रहा है
तुम्हारी शादी के एक कार्ड की
कीमत 3 लाख रुपये है
मेरी बिटिया तुम खुशनसीब हाे
क्योंकि
विदर्भ के उस किसान की बेटी
नहीं हो
जिसने यह सपना देखा था कि
फसल कटने पर धूमधाम से
अपनी बेटी की शादी करेगा
लेकिन फसल के,सूखा के शिकार होते ही
उसके सपने भी सूख गए
पेड़ पर लटककर
मर गया
मेरी बिटिया
तुम खुशनसीब हो
क्याेंकि
तुम उस आदिवासी की बेटी नहीं हो
जिसे नक्सली-माओवादी कहकर
मार दिया गया
न ही तुम
उस कश्मीरी की बेटी हो
जिसे आतंकवादी होने के शक में
सुरक्षा बल उठा ले गए
जो आज भी वह अपने बाप की
राह देख रही है
तुम होरी की बेटी
साेना भी नहीं हो
जिसकी शादी किसी दुहाजु अधेड़ से हो
मेरी बिटिया
इस खुशी के मौके पर तुम्हें यह बात
बताना अच्छा तो नहीं लग रहा
पर क्या करूँ, मजबूर हूँ
वह बात यह है कि
तमाम-तमाम बेटियों की
खुशियाँ छीनकर
तुम्हारे बाप ने
तुम्हारे लिए खुशी का साजो-सामान
जुटाया है
कभी वक्त मिले
उन बहनों के बारे में भी
सोच लेना
आखिर वे भी तो किसी की
लाडली बेटियां हैं
(सिद्धार्थ रामू के फेसबुक वॉल से)
प्रस्तुति- सिद्धार्थ रामू
ईशा मेरी बिटिया
तुम्हें शादी की शुभकामनाएं
तुम खुशनसीब हो
दुनिया के चंद दौलतमंदाें में एक
मुकेश अंबानी की बेटी हो
तुम्हारी शादी पर तुम्हारे बाप
पैसा पानी की तरह बहा रहे हैं
जैसे पैसा न हो
हाथ का मैल हो
तुम्हें करोड़ों का बंगला
उपहार में दिया जा रहा है
तुम्हारी शादी के एक कार्ड की
कीमत 3 लाख रुपये है
मेरी बिटिया तुम खुशनसीब हाे
क्योंकि
विदर्भ के उस किसान की बेटी
नहीं हो
जिसने यह सपना देखा था कि
फसल कटने पर धूमधाम से
अपनी बेटी की शादी करेगा
लेकिन फसल के,सूखा के शिकार होते ही
उसके सपने भी सूख गए
पेड़ पर लटककर
मर गया
मेरी बिटिया
तुम खुशनसीब हो
क्याेंकि
तुम उस आदिवासी की बेटी नहीं हो
जिसे नक्सली-माओवादी कहकर
मार दिया गया
न ही तुम
उस कश्मीरी की बेटी हो
जिसे आतंकवादी होने के शक में
सुरक्षा बल उठा ले गए
जो आज भी वह अपने बाप की
राह देख रही है
तुम होरी की बेटी
साेना भी नहीं हो
जिसकी शादी किसी दुहाजु अधेड़ से हो
मेरी बिटिया
इस खुशी के मौके पर तुम्हें यह बात
बताना अच्छा तो नहीं लग रहा
पर क्या करूँ, मजबूर हूँ
वह बात यह है कि
तमाम-तमाम बेटियों की
खुशियाँ छीनकर
तुम्हारे बाप ने
तुम्हारे लिए खुशी का साजो-सामान
जुटाया है
कभी वक्त मिले
उन बहनों के बारे में भी
सोच लेना
आखिर वे भी तो किसी की
लाडली बेटियां हैं
(सिद्धार्थ रामू के फेसबुक वॉल से)
प्रस्तुति- सिद्धार्थ रामू
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