पतहर

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हिन्दी संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बन सकती हैं : डॉ महान्ति

हम हिन्दी के अतिरिक्त तमिल, तेलगु या उड़िया आदि भाषाओं को  सीख सकें।मगर हमने सरलीकरण करके हिन्दी संस्कृत और अंग्रेजी पकड़ ली यह अलगाव की दिशा है। बांटो और राज करो राजनीति में चल सकता हैं  साहित्य में नहीं। साहित्य जोड़ने का कार्य करता है.

पतहर,देवरिया। नागरी प्रचारिणी सभा देवरिया के तत्वावधान में हिन्दी दिवस के अवसर सम्मान समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें विगत वर्ष 2020 में संपन्न हुए वर्ष का नागरी रत्न डॉ0 सुधांशु चतुर्वेदी, नागरी भूषण सम्मान डॉ0 जयनाथ मणि त्रिपाठी और नागरी श्री सम्मान सौदागर सिंह को दिया गया। 2022 का नागरी रत्न सम्मान डॉ.अमूल्य रत्न महांति कटक (उड़ीसा)।नागरी भूषण सदानन्द शाही काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी एवं नागरी श्री सम्मान,उपन्यासकार वरुण पांडेय को दिया गया।
 अपना उद्बोधन देते हुए डॉ0 अमूल्य रत्न महांति ने कहा कि आज भी सनातन परंपरा में शास्त्रार्थ जीवित हैं यह यहां पहुँचकर लगा।आगे उन्होंने कहा कि हिन्दी संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बन सकती हैं।बशर्ते कि पहले हम उसे अपने घर में मजबूती से स्थापित करें।उन्होंने डॉक्टर अनिल कुमार त्रिपाठी मंत्री  के नवीन सोच कार्यों को सराहा। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि हिन्दी एक ही भाषा है चाहे उत्तर में बोली जाए ,चाहे दक्षिण बोली जाय, चाहे पूर्व। आगे उन्होंने कहा कि मैं जगन्नाथ की  धरती से आया और गोरखनाथ की धरती  को प्रणाम करता हूँ।


नागरी  भूषण सम्मान से सम्मानित का डॉ. सदानन्द शाही ने अपने उद्‌बोधन में कहा कि जब हम नागरी शब्द का उच्चारण करते हैं तो उससे समीपता का भाव व्यंजित होता है । नागरिक का अर्थ व्यापक होकर नागरिकता तक पहुँचता है। और जब हम गैर नागरी या गैर हिन्दी शब्द उच्चारित करते हैं तो एक अलगाव का बोध होता है,जो नारकीय कृत्य है। हमारे शास्त्रों में एक्त्वा एक होने का चिंतन गुंथित हैं।हम अपनी परम्परा से विच्छिन्न होकर प्रतीक का सहारा ले लेते हैं और अपने भीतर के परम तत्व भूल जाते हैं,जो उचित नही हैं। 

आगे उन्होंने कहा कि देश में त्रिभाषा फार्मूला इसलिए लाया गया कि हम हिन्दी के अतिरिक्त तमिल, तेलगु या उड़िया आदि भाषाओं को  सीख सकें।मगर हमने सरलीकरण करके हिन्दी संस्कृत और अंग्रेजी पकड़ ली यह अलगाव की दिशा है। बांटो और राज करो राजनिति में चल सकता हैं  साहित्य में नहीं। साहित्य जोड़ने का कार्य करता है। हिन्दी अपने संख्या बल पर नहीं, बल्कि श्रेष्ठ साहित्य के बल पर विश्व में प्रतिष्ठित हो सकेगी।

दूसरे नागरी भूषण सम्मान से सम्मानित डॉ0 जयनाथ मणि त्रिपाठी ने अपनी कविता मेरा गांव संवेदना शून्य हो गया है, 
मेरा गांव जिंदा हैं मगर जिंदा दिली मर गयी है' कविता के माध्यम से अपनी बात कही।उन्होंने  सभा के प्रति सम्मान हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया। नागरी श्री से सम्मानित सौदागर सिंह ने कहा कि वर्षों से अनवरत साहित्य सेवा करने का फल मुझे नागरी प्रचारिणी के माध्यम से मिला । मैं इसके प्रति बेहद कृतज्ञ हूँ।


उन्होंने  अपनी' घन आये घनश्याम न आये' का पाठ किया। नागरी श्री से सम्मानित वरुण पांडेय ने कहा कि सभा द्वारा प्रदत्त यह सम्मान साहित्यिक उत्साह उत्पन्न करता है। मैं इस सम्मान को पाकर अभिभूत हूँ।2020 के नागरी रत्न से सम्मानित डॉ0 सुंधाशु चतुर्वेदी स्वस्थ्य कारणों से उपस्थित न हो सके किंतु उन्होंने अपना सन्देश भेजा कि मैं स्वयं कभी उपस्थित होकर अपना सम्मान ग्रहण करना चाहूंगा ।मैं सभा के प्रति कृतज्ञता एवं आभार ज्ञापित करना चाहता हूं,सभा के मंत्री डॉ0अनिल कुमार त्रिपाठी ने कहा कि हिन्दी निरन्तर आगे बढ़ रही है और वह दिन दूर नही है जब वो अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ले।
इस अवसर पर मुख्य अतिथियों द्वारा विभूति नारायण ओझा के सम्पादकत्व में निकलने वाली पतहर,त्रैमासिक पत्रिका का लोकार्पण किया गया ।
सभा के अध्यक्ष आचार्य परमेश्वर जोशी ने अपने भाषण में कहा कि हिन्दी भाषी क्षेत्र का होने के नातें हमारी जिम्मेदारी अधिक बढ़ जाती हैं। हम लोगो को यह प्रयास करना चाहिए कि भारत की सभी भाषाओं की लिपि देवनागरी हो जाये। 

इस अवसर पर सभा के नए सदस्य के रूप में डॉक्टर मनसा देवी,सिद्धार्थ मणि त्रिपाठी,डॉक्टर अभय कुमार द्विवेदी,काशी नाथ त्रिपाठी, ऋषिकेश मिश्रा, पुरुषोत्तम गोयल,रघुपति त्रिपाठी आदि का शपथ ग्रहण कराया गया। 
तुलसी जयंती के अवसर पर प्रस्तुत नाटक रसिक सम्पादक के सदस्यों प्रमोद मणि त्रिपाठी और रजनीश मोहन गोरे को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया साथ ही 12 सितम्बर को हुई वाद-विवाद प्रतियोगिता में विजयी घोषित हुए छात्र/छात्राओं को प्रमाण पत्र स्मृति चिन्ह देकर पुरस्कृत किया गया।


कार्यक्रम का संयोजन डॉक्टर शौरभ श्रीवास्तव ने पूरे मनोयोग के साथ किया.अंत मे कवि सरोज कुमार पांडेय ने आगत अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया गया तथा वृद्धिचंद्र विश्वकर्मा ने शांति पाठ कराया.कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर भावना सिन्हा ने किया।
कार्यक्रम में दिनेश कुमार त्रिपाठी,श्वेतांक करन त्रिपाठी, इंद्र कुमार दीक्षित,अनिल कुमार त्रिपाठी, अधिवक्ता व्रजेश पांडेय, सतीश पति त्रिपाठी, कौशल कुमार मिश्र ,डॉक्टर शकुंतला दीक्षित, भृगुदेव मिश्रा,रविन्द्र नाथ तिवारी, डॉक्टर विपिन बिहारी शुक्ला, गोपाल कृष्ण सिंह रामू,डॉक्टर जे0एन0 पांडेय,पण्डित आद्या प्रसाद शुक्ल,नित्यानन्द यादव, वीरेंद्र कुमार सिंह,भीम प्रजापति, धर्मदेव सिंह आतुर,हृदय नारायण जयसवाल, शिवनारायण मिश्र, चतुरानन ओझा,सतीशचन्द्र भाष्कर,आदि लोग उपस्थित रहें।

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