दीवाली पर --- डॉ डीएम मिश्र जी की एक गज़ल
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दिल को अपने दिया बना दो, और प्रेम को बाती
सच कहता हूं फिर देखो रोशनी कहां तक जाती?
मुट्ठी भर उजियारा है, बाकी घनघोर अंधेरा
दूर अंधेरा करने को हर साल दिवाली आती।
सिर्फ़ अमीरों के घर पर ही डेरा डाले बैठी
काश, लक्ष्मी निर्धन के भी घर में खुशियां लाती।
मेरे घर आयी दीवाली लेकिन भूखी-प्यासी
उनके घर आयी दीवाली मधु -मदिरा छलकाती।
दीवाली में दीवाला, दीवाले में दीवाली
घर के बाहर खड़ी लक्ष्मी मन ही मन मुस्काती।
रस्म निभाने की चिंता ज्यादा उस बुढ़िया को है
घर में भूंजी भांग नहीं पर घी के दिये जलाती।
अपने भीतर के अंधियारे से भी लड़ना सीखो
दीवाली हर साल यही संदेशा लेकर आती ।
----- डॉ डी एम मिश्र
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