पतहर

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साहित्यकार सत्ता की मांग नही करता : प्रो.असगर

गोरखपुर।आजादी के पूर्व जो सामाजिक संस्थाएँ थीं, वे आजादी के बाद कायम नहीं रहीं।सरकारों ने उनकी जिम्मेदारी ले ली थी लेकिन सत्ता ने वह काम नहीं किया।
  यह बाते जाने मानें इतिहासकार प्रो असगर वजाहत ने कही।वे रविवार की शाम डीडीयू में इतिहास विभाग के आयोजन मे बोल रहे थे।बुध से कबीर तक अभियान यात्रा के तहत आयोजित समारोह मे मुख्य वक्ता के रूप मे बोलते प्रो वजाहत ने कहा कि आज शिक्षा स्वास्थ्य में गिरावट आईं है।सत्ता ने इसे व्यवसायीक बना दिया है।वह आम लोगों से दूर हो गई है।   
संबोधित करते हुए प्रो.वजाहत

  उन्होंने सवाल खड़ा किया कि आजादी के बाद नागरी प्रचारिणी क्यों नहीं बनी। क्योंकि सरकारों ने यह काम ले लिये।सत्ता ने लोगों की पहल को समाप्त कर दिया।
पतहर प्रतिनिधि से बात करते हुए प्रोफेसर

उन्होने कहा कि  साहित्यकार,रचनाकार सत्ता की मांग नही करता।वह समाज को बेहतर देता है ।लेखक की भूमिका देने की है ,राजनीति की भूमिका लेने की है।कहा कि एकता व भाईचारे को मजबूत करना होगा।जो आप से भिन्न है उसके लिए भी इज्जत होंनी चाहिए।धर्म की लड़ाई मे मानव मूल्य पीछे छूट जाते हैं।हमें धर्मनिरपेक्षता को अपनाना होगा।

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