आलेख / पार्वती देवी
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हमारे देश ,भारत में मिश्रित तहजीबों वाले लोग रहते हैं। हिन्दू, मुस्लिम सिख,इसाई,जैन,पारसी सभी धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं।धर्मों के अनुसार इनके रीति रिवाज,खान पान ,वेश भूषा और पहनावा भी अलग अलग होता है।साथ ही इनके त्यौहार भी अलग अलग होते हैं। जहां मुसलमानों का प्रमुख त्यौहार ईद और शबे-बारात आदि हैं तो हिन्दुओं का प्रसिद्ध त्यौहार,होली दीवाली के साथ ही राम नवमी भी है। राम नवमी चैत्र नवरात्रि में ही पड़ता है।जहां एक तरफ माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा नौ दिनों तक होती है,उसी बीच अष्टमी के दिन देवी के आठवें रूप महागौरी की पूजा धूमधाम से की जाती है। रात में कलश स्थापन किया जाता है ,जो घट में जल को परिपूरित करके,शुभ के प्रतीक आम्र पल्लवों को रखकर ऊपर से अन्न से परिपूरित कोसा (मिट्टी का बड़ा सा दीया ) और फिर सबसे ऊपर तेल से भरा हुआ मिट्टी का दीपक रखकर जलाया जाता है।
जब सभी लोग सो जाते हैं,तब घर की महिलाएं दाल भरी पूड़ी,रसियाव(मीठा भात) बनाकर पूजा करती हैं। पहले के समय में कोई देख नहीं पाता था , लेकिन अब तो लोग जल्दी ही माता रानी को चढ़ा देते हैं। अष्टमी को मां को भोग अर्पित करने के बाद भोजन को वहीं ढककर रख दिया जाता है।उस भोजन या प्रसाद को लोग दूसरे दिन खाते हैं।जिसे बसिअउरा कहा जाता है।उस दिन घर में ताज़ा भोजन नहीं बनता है।उसी दिन राम नवमी होता है। मान्यता है कि इसी दिन राम जी का जन्म अयोध्या में हुआ था। राम जी का जन्मोत्सवराम बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। बधाइयां बजती है।सोहर गाया जाता है।जगह जगह मेला लगता है।।यह दिन नवरात्रि का आखिरी दिन होता है।कोई कोई लोग उसी दिन या दूसरे दिन अपने नवरात्रि के नौ दिन के व्रत का हवन कर कन्या पूजन भी करते हैं।और अपने व्रत को समाप्त करते हैं।
नवरात्रि का हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्व है।नौ दिन लोग यम,नियम का पालन कर व्रत रहते हैं। देवी मां की आराधना करते हैं। आरती पूजन,वन्दन , जयकारा खूब चलता है। राम नवमी का मेला अयोध्या में वृहद रूप में लगता है। लोग मन्दिर में अपने आराध्य का दर्शन पूजन कर अपने जीवन को कृतार्थ करते हैं। किन्तु समय के साथ त्यौहारों में भी परिवर्तन होता जा रहा है।लोग नवमी की पूजा करके प्रसाद को उसी दिन ग्रहण कर लें रहे हैं।कुछ लोग पूजा के नाम पर जीव जन्तुओं की बलि भी नवरात्रि में ही नवमी के दिन ही पशु पक्षियों की बलि भी देते हैं।असम के कामाख्या देवी मंदिर में बलि की रीति मैंने आंखों से देखी है।मन विद्रूप हो गया था। कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में नवरात्रि और दुर्गा पूजा खूब धूमधाम से मनाया जाता है और प्रसिद्ध है, किन्तु नवरात्रि में ही वहां मांस मछली लोग खाते हैं। मुझे देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ था। अपने उत्तर प्रदेश में घोर मांसाहारी लोग भी नवरात्रि में इसका प्रयोग वर्जित कर देते हैं। वहीं देवभूमि उत्तराखंड में मांस मछली खुलेआम कहीं नहीं बिकता है।न ही कोई जल्दी खाता है।कोई कोई चोरी-छिपे ही बेचते हैं।
कुछ भी हो पर्व, त्यौहार हमारे जीवन में नव उमंग,भर देते हैं।व्रत के नाम पर कुछ यम नियम भी हो जाता है। सबसे बड़ी बात घर की पूरी सफाई हो जाती है।हम व्रत , त्यौहार के साथ ही मन को संयमित रखने का प्रयास करते हैं।इस प्रकार हमारा मन कुछ हद तक संतुलित होने का प्रयास करता है।
*पार्वती देवी "गौरा " , देवरिया उ.प्र.
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