पतहर

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हिंदी ब्रह्म के साक्षात्कार की भाषा है - प्रो. अनंत मिश्र

पतहर,देवरिया। विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर नागरी प्रचारिणी सभा के तत्वावधान में आयोजित विमर्श संवाद समारोह की अध्यक्षता करते हुए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.अनंत मिश्र ने कहा कि दुनिया में कोई ऐसी भाषा नहीं है जिसमें इतना संत साहित्य हो, हिंदी की यह बहुत बड़ी शक्ति है। 

उन्होंने कहा कि संतों के जो वचन हैं ऐसी बातें दुनिया के किसी साहित्य में नहीं हैं। संतों का साहित्य विलक्षण साहित्य है, यहां अंदर देखने की प्रवृत्ति है।जिस भाषा के भीतर इतने संत हों वह भाषा कमजोर नहीं हो सकती।नाम के भीतर रुप और रुप के भीतर रहस्य को जानने की जरूरत है। हिंदी ब्रह्म के साक्षात्कार की भाषा है। जो काम संस्कृत ने नहीं किया वह हिंदी ने किया है। हिन्दी को परम आध्यात्मिक शक्ति मानना होगा। 

मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. अरुणेश नीरन ने कहा कि हिंदी विश्व की भाषा है। राष्ट्र भाषा भले न हो।संसार में मंदारिन, स्पेनिश,अंग्रेजी व हिंदी सर्वाधिक बोली जाती हैं। हिंदी की बोलियां हिंदी से पुरानी हैं। डा. नीरन ने कहा कि भारत से बड़ा बाजार दुनिया में नहीं है। चीन के लोग अपने यहां के सामान का ही इस्तेमाल करते हैं।अपनी भाषा बोलते हैं लेकिन मेरे द्वारा चीन में भी हिंदी बोलने पर लोग समझते हैं।
 उन्होंने कहा कि पूरे संसार के बड़े देश हिंदी भाषा अपने लोंगो सिखा रहे हैं क्योंकि उन्हें बाजार में सामान बेचना है। समारोह में लोकार्पित पुस्तक राजशेखर का इतिहासबोध की चर्चा करते हुए कहा कि राजशेखर पर उपन्यास लिखने की जरूरत है।उन पर किताबें तो बहुत लिखीं गयी हैं उपन्यास कम है। 
उन्होंने कहा कि राजशेखर देशी भाषाओं के संरक्षक हैं। उन्हें कथा विधा के रूप में याद करेंगे तो ज्यादे लोगों तक पहुंचाने में सफल होंगे। 
कार्यक्रम का संचालन सभा के मंत्री इंद्र कुमार दीक्षित ने किया तथा स्वागत भाषण अध्यक्ष आचार्य परमेश्वर जोशी ने किया। इस अवसर पर कवि सरोज पांडेय वे अन्य कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।इस अवसर पर शहर के अनेक साहित्यप्रेमी मौजूद रहे।

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