पतहर

पतहर

अपर्णा की कुछ रचनाएं

अपर्णा की साहित्य में रुचि है.कई वर्षों से गीत, गजल, कविता लिखने के साथ साथ कहानियाँ भी लिखती हैं. प्रस्तुत है उनकी कुछ कविताएँ.


 मन

ययावर है गेमखेल झारखंड 

कभी गहवर में कभी भी शिखर


बना विहंगम फिर गगन में 

सोने का रोग

उन्मद अभिस्वीकृति सा

तुहिन किनकों कोकंता


अति अति सुंदर पर

येयावर है भुखेड़े


अत्यधिक वेग से बहता 

तनिक नाइक 

मनोकामनाएं 

दुरनीवार लहरें लहरें 


स्लो गूढ़ है, हैलो ही प्रखर |

येयावर है भुखेड़े


बड़े बड़े चित्र 

सबने शशया

उल्गिन जैसे दिशाएं 

कोई शर्त पार ना पैर


अजीब झंझाल सा है गत्वर |

यायावर है गेमखेल झारखंड |अपर्णा

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प्रथम प्रणय अभिमंत्रण 


वह वायुयान भेजा गया था जब उसने बार-बार प्रसारण किया था |

मन पाखी बन गगन में दिल ने स्वीकार किया |


प्रेग्नेंसी में ये |

 भरी कपकपाते के लोग धुरंधर थे|

 इक सवाल खड़े होने के बीच में रखा गया था 

 घबराहट में दोनों के चेहरे की रंगत उड़ी हुई थी |


उस छड़ नजर झुका कर मैने तुम पर उपकार किया था |

आंखों


सवालों के बीच में ही हंसना दो|

अधर काँपते कह रहे थे कहो |

यह देखने के लिए था |

कितना था था


दुनियां से छिपने के लिए संपर्क किया था|

 जब भी घड़ी की घड़ी ने घड़ी की निगरानी की थी |अपर

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हो ये कैसा इम्तिहान है


हो ये कैसा इम्तिहान है ?


ये है बैकली 

किधर से ये 

इस तरह 

मारा है खलबली? 

हर तरफ़ 

उठती तूफान 

हो ये कैसा इम्तिहान है?


मुखौटा मुखौटा के 

खून का पिया 

दोस्तों 

चेहरे की परिभाषा 

बुझी कैसे पत्ते ये 

ये शहीद शहीद 

हो ये कैसा इम्तिहान है?


चाँद कोछु की ये तमन्ना 

फ़िर शाहिद कोई काल्पनिक 

ये जा रहे हैं ये जमीन

 निवास स्थान है 

स्थायी रूप से

स्‍थानीय ठिका अंतरिक्ष अभियान है 

हो ये कैसा इम्तिहान है ?


महानता की भी 

ब्रेक ली है सबने मानव से प्रीत 

टाय जो तेदोद दे दे 

एक को सिखाएं

 किसका बौल है 

उत्तम कौन सा है बेईमान 

हो ये कैसा इम्तिहान है ?


वार्षिक खुशी का सामान

झूठ 

शान से लहरी काला तिरंगा 

राज्य सरकार 

गौरव किस से कह रहे हैं 

हम आज भी महान 

हो ये कैसा इम्तिहान है?


सिर पे चिन्ह का चिन्ह खारी रुमाल है

 कार से आज तक कोई सवाल नहीं है 

पेट में पेट नहीं भरने के लिए

कि ये बड़प्पन का दोस्तों है कमाल

एक है नचाती बात पर 

आजकल ही️ आजकल️ आजकल️ आजकल️️️ 

हो ये कैसा इम्तिहान है ?


एक का दुश्मन दूसरा दूसरा समाज है 

सोच गांधी जी 

श्रेणी ही सोची थी 

नई तस्वीर भारत की आज है 

पर 

दे मन में अभिमान है 

हो ये कैसा इम्तिहान है ?अपर्णा

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