पतहर

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एक_लड़की_का_एकांत/कविता/मालिनी गौतम

#एक_लड़की_का_एकांत

लड़की हर रात नींद में भी 
अंजुरी भर-भर के पानी 
छाँटती रहती अपनी आँखों पर ।

 इस उम्मीद में कि शायद 
धूल-मिट्टी और किरचों के साफ़ होने पर 
उसे दिखाई देने लगेंगे 
वो सपने, वो लोग 
जिन्हें वो नींद में भी देखना चाहती है ....।

इंतज़ार की कच्ची डोर 
बार-बार टूटती 
अब डोर में डोर कम 
गिरहें ज्यादा थीं
उलझे बालों की लटें भी 
सुलझने के इन्तजार में 
और उलझती चली जा रहीं थीं ।

ऐसी तमाम रातें 
लम्बी-लम्बी उम्र लिखवा कर लातीं अपने नाम 
 लड़की रात भर दम साधे 
अँधेरे के लट्टू पर 
उजालों के धागे लपेटती 
और जैसे ही चहचहाती दूर कहीं.. कोई चिरैया
वो अपने सपनों पर 
लगा देती पलकों का ताला ,
आईने के सामने खड़ी होकर 
अंजुरी भर पानी छाँटती चेहरे पर 
और गौर से देखती 
लाल-लाल, फूली-फूली आँखों को ....
गोया पलकों के एक किनारे पर 
कहीं कोई सपना छूट तो नहीं गया न  ।

पगली है ....
इतना आसान होता है क्या 
सुग्गे के झूठे जामुन जैसे 
मीठे जामुनी ख़्वाबों का नींद में आना ....
प्रस्तुति:मालिनी गौतम

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