पतहर,देवरिया। युवा उपन्यासकार वरुण पांडेय की कृति नेत्रा के लोकार्पण एवं परिचर्चा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार अरुणेश नीरन ने कहा कि युवा लेखक में सृजन का उत्साह है। बड़ा लेखक अपने को हमेशा तोड़ता है यह तोड़ने का काम वरुण पांडे ने किया है।
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नेत्रा उपन्यास का लोकार्पण करते साहित्यकार अरुणेश नीरन व अन्य |
उन्होंने कहा कि आज मिथकों पर उपन्यास लिखने का फैशन चल गया है, प्रेम उपेक्षित हो गया है। मुझे चांद चाहिए ,व गुनाहों का देवता उपन्यास प्रेम का सर्वोत्तम उपन्यास है। नेत्रा इसी कड़ी का एक उपन्यास है जो पाठक को बांधता है। इसमें पाठकों को अपनी तरफ आकर्षित करने की पूरी क्षमता है। इस कृति में उपन्यासकार ने जीवन के यथार्थ को कथात्मक रूप से पाठकों के सामने प्रस्तुत किया है। डॉ नीरन ने कहा कि नेत्रा वास्तव में एक प्रमाणित कृति है।इसमें संवेदना का समुद्र है,अनंत को वरण करने का प्रयास लेखक ने अपनी इस पहली रचना में की है।
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अरुणेश नीरन |
परिचर्चा को संबोधित करते हुए काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के आचार्य सदानंद शाही ने कहा कि जीवन का केंद्रीय विषय प्रेम है। हमारे हिंदी उपन्यासों में प्रेम की उपस्थिति हर जगह है चाहे वह गोदान हो या गुनाहों का देवता। उन्होंने कहा कि प्रेम के बगैर जीवन संभव नहीं है। प्रेम की कथा अनंत है, मनुष्य का जीवन जब तक रहेगा प्रेम जिंदा रहेगा। शाही ने कहा कि प्रेम एक क्रांतिकारी कर्म है ।वरुण पांडेय जैसे युवा रचनाकार ने नेत्रा उपन्यास लिख कर समाज द्वारा थोपी गई नैतिकताओ को चुनौती दी है ।लेखक ने प्रेम के बहाने सामाजिक ग्रंथियों पर प्रहार करने का काम इस कृति के माध्यम से किया है ।
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प्रो सदानंद शाही |
साहित्यकार जयनाथ मणि ने कहा कि नेत्रा एक बेहतर शीर्षक है। शिल्प की दृष्टि से इकहरा होने के बावजूद यह उपन्यास बड़ा सामाजिक संदेश देने वाला है। यह उपन्यास सामाजिक विकृतियों को समाप्त करने वाली रचना है ।यह वैचारिक क्रांति वाला उपन्यास महसूस होता है। साहित्यकार डॉक्टर दिवाकर प्रसाद तिवारी ने कहा कि नेत्रा एक पठनीय उपन्यास है।इसमें प्रेम के बहाने समाज में नया वातावरण निर्मित करने का प्रयास लेखक ने किया है। समारोह में बोलते हुए नागरी प्रचारिणी सभा के अध्यक्ष परमेश्वर जोशी ने कहा कि यह नारी सशक्तिकरण वाला उपन्यास है इसने बहुत सारे प्रसंगों के बहाने एक सामाजिक बदलाव वाला काम किया है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि ध्रुवदेव मिश्र पाषाण ने कहा कि नेत्रा एक ऐसी कृति है जिसके आधार पर कहा जा सकता है कि विश्वसनीयता की वापसी हो रही है। उन्होंने कहा कि लेखक ने बड़ी ईमानदारी से एक दायरे में बंद कर अनुशासन का परिचय देते हुए बड़ा रचनात्मक काम किया है। उन्होंने कहा कि प्रेम और वासना में बड़ा फर्क होता है ,जो गृहस्थ जीवन की मर्यादा होती हैं वह इस कृति में पूर्णता दिखाई देती है। वरुण पांडेय उपलब्धि की संभावना के रचनाकार हैं।
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उपन्यासकार वरुण पांडेय |
समारोह का संचालन डॉ भावना सिन्हा ने किया। इस अवसर पर नागरी प्रचारिणी सभा की ओर से मंत्री इंद्र कुमार दीक्षित व अतिथियों ने नेत्रा उपन्यास के लेखक वरुण पांडेय को अंग वस्त्र व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित भी किया। समारोह में अतिथियों का स्वागत व आभार ज्ञापन साहित्यकार आशुतोष त्रिपाठी ने किया। इसके पूर्व नेत्रा के लेखक वरुण पांडे ने अपने साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डाला तथा उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से साहित्यकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर चतुरानन ओझा, रविंद्र नाथ त्रिपाठी, बृजेंद्र मिश्र, सरोज पांडेय, डॉ शकुंतला दीक्षित, सुजाता मिश्रा, उद्भव मिश्रा,शिरोमणि मिश्रा,दुर्गा पांडेय, सुधा पांडेय, बलराम मिश्रा, चक्रपाणि ओझा, पार्थेश्वर मिश्र ,सर्वेश्वर ओझा, सुभाष राय, अंशु सिंह, गुलाब, जनार्दन प्रसाद शाही व नित्यानंद यादव आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
प्रस्तुति: चक्रपाणि ओझा,
2 Comments
बेहतरीन ...
ReplyDeleteसटीक समीक्षा और रिपोर्टिंग की गई है कार्यक्रम की।
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