लखनऊ/बांदा। जनवादी लेखक मंच बाँदा और मंच की पत्रिका ‘मुक्तिचक्र’ के संयुक्त तत्वावधान में 22 जून शाम तीन बजे डीएवी कालेज परिसर, बांदा में जनकवि केदारनाथ अग्रवाल सम्मान का आयोजन किया जाएगा । यह सम्मान इस वर्ष हजारीबाग झारखण्ड के रहने वाले हिन्दी के वरिष्ठ जनवादी प्रगतिशील कवि शम्भु बादल को दिया जाएगा । इस अवसर पर जसम के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष, वरिष्ठ कवि व ‘रेवान्त’ के प्रधान सम्पादक श्री कौशल किशोर, हजारीबाग के युवा कवि राजेश दुबे, फतेहपुर के युवा कवि प्रेमनन्दन, कन्नौज के कवि शिव कुशवाहा भी उपस्थित रहेगें ।
यह जानकारी जनवादी लेखक मंच बाँदा के संयोजक उमाशंकर सिंह परमार और ‘मुक्तिचक्र’ के संपादक गोपाल गोयल ने दी ।
श्री परमार ने बताया कि केदारनाथ अग्रवाल बाँदा की पहचान हैं। 22 जून को उनकी पुण्यतिथि है । जनवादी लेखक मंच उनकी पुण्यतिथि को हर वर्ष देश के महत्वपूर्ण लेखकों को बाँदा बुलाकर सम्मानित करता है तथा कविता पर चर्चा-परिचर्चा के अतिरिक्त कवि सम्मेलन का भी आयोजन करता है। इस बार के कार्यक्रम मे ‘मुक्तिचक्र’ पत्रिका के कविता अंक का विमोचन भी होगा जिसमे केदारनाथ अग्रवाल और कृष्णमुरारी पहरिया जी पर विशेष सामग्री है । साथ ही वरिष्ठ कवि रामातौर साहू और कन्नौज के युवा कवि व ‘व्यंजना’ के सम्पादक शिव कुशवाहा के कविता संग्रहों का विमोचन भी होगा ।
श्री परमार ने यह भी बताया कि विमोचन सत्र की अध्यक्षता जनपद के वरिष्ठ कवि जवाहर लाल जलज करेगें और सम्मान सत्र की अध्यक्षता राकेश मोहन द्विवेदी जी करेगें । कार्यक्रम का संचालन केदार सम्मान कमेटी के सचिव युवा कवि प्रद्युम्न कुमार सिंह करेगें और आगन्तुकों का सम्मान व अलंकरण प्रसिद्ध गजलकार कालीचरण सिंह करेगें । जनपद के इस महत्वपूर्ण आयोजन में आगन्तुक कवियों और लेखकों के अलावा स्थनीय कवियों का कविता पाठ भी होगा। इस आयोजन की रूपरेखा का निर्धारण और संयोजन का कार्य युवा कवि नारायण दास गुप्त करेंगे ।
ज्ञात हो कि शंभु बादल हिन्दी के चर्चित कवियों में शुमार है। उनके तीन कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके है। वे हैं ‘मौसम को हांक चलो’, ‘सपनों से बनते हैं सपने’ तथा ‘चुनी हुई कविताएं’। 70 के दशक में उनकी लम्बी कविता ‘पैदल चलने वाले पूछते हैं’ पुस्तिका के रूप में आयी जिससे उनकी पहचान बनी। इनकी कविताएं भारतीय जीवन की जटिलता विशेष तौर से आदिवासी समाज की वेदना व रुदन के साथ उनके संधर्ष को सामने लाती है। इनमें प्रतीकों और बिम्बों का खूबसूरत इस्तेमाल है।
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