पतहर

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साहित्यकार का सम्मान हिन्दी का सम्मान

हिन्दी दिवस पर विशेष

 [विभूति नारायण ओझा]

 हिंदी हमारी अपनी भाषा है। हम इसमें पढ़ते , लिखते और रचते हैं। हिंदी हमारे देश में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। यही नहीं जनसंख्या के लिहाज से भी हिंदी का विस्तार सबसे अधिक है। दशकों से अंग्रेजीयत का बोलबाला भले ही रहा हो लेकिन हिंदी शीर्ष पर है और आगे भी रहेगी। हिंदी आम जन की आवाज बनती है। हिंदी ने एक से बढ़कर एक रचनाकारों को जन्म दिया है। जिनकी ख्याति पूरे विश्व में फैली हुई है। हिंदी जनधर्मी रचनाकारों की जननी है। पहले भी जनधर्मी रचनाकार हुए हैं और आज भी हैं। जो क्रमशः सृजनरत हैं। ऐसे रचनाकारों के साथ हमारी पत्रिका *पतहर* Patahar Hindi सदैव खड़ी है। इसी परंपरा के निर्वहन में हमारे संपादन में हमारे देवरिया जिले से निकलने वाली यह  पतहर-पत्रिका हिन्दी तथा साहित्य प्रेमियों के बीच सेतु का काम कर रही। पतहर-पत्रिका ने आलोचक डॉ परमानंद श्रीवास्तव, ग़ज़ल दुनिया के सशक्त हस्ताक्षर डाँ डी एम मिश्र और क्रांति धर्मी जनकवि ध्रुवदेव मिश्र पाषाण Dhruvdeo Mishra Pashan पर विशेषांक प्रकाशित करके हिंदी साहित्य प्रेमियों का सम्मान किया है।


हमारी हिंदी की जनधर्मिता का गौरव जहां कबीर,सूर,तुलसी, निराला, मुक्तिबोध,धूमिल, केदारनाथ अग्रवाल, नागार्जुन, त्रिलोचन,मानबहादुर सिंह , परमानन्द श्रीवास्तव जैसे अनेक महाकवियों ने पहले बढ़ाया है वहीं आज भी अनेक कवि जैसे रामदरश मिश्र, विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, Swapnil Srivastava, Subhash Rai ,। Kaushal Kishor

महेश Mahesh Ashk सुशील कुमार आदि जनपक्षीय साहित्य सृजन में अग्रणी है।

इनका सम्मान हिन्दी का सम्मान है। हिन्दी के सम्मान के लिए पतहर संकल्पित है।


(विभूति नारायण ओझा)

संपादक पतहर-पत्रिका,देवरिया

मो.9450740268

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