[जब आज स्थितियाँ विपरीत हुईं हैं तो ऐसे समय में साहित्यकार का यह नैतिक धर्म हो जाता है कि वह समाज में समन्वय स्थापित करने का प्रयास करे । इस लाकडाउन के समय विद्यार्थियों में तनाव है । वे अपने कैरियर को लेकर चिंतित हैं।]
बगहा।बी.आर.ए.बिहार विश्वविद्यालय मुज़फ़्फ़रपुर के राजकीय डिग्री महाविद्यालय, बगहा द्वारा कोविड19 से उत्पन्न समस्या एवं समाधान विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.संदीप कुमार सिंह के संयोजन में किया गया । इस कार्यक्रम में विभिन्न प्रदेशों से प्रोफ़ेसर, शोधार्थी,अर्थशास्त्री, साहित्यकार, मनोवैज्ञानिक आदि जुड़े और उन्होंने इस वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर अपनी चिंता जाहिर की । बिहार विश्वविद्यालय के प्रो.अजीत कुमार जी कोरोना के कारण शिक्षा व्यवस्था और शैक्षणिक गतिविधियों के ठप पड़ जाने पर चिंतित हुए । उन्होंने कहा कि इस संकट की घड़ी में हमें धैर्य से काम लेना है । काशी विद्यापीठ, वाराणसी के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. राजीव कुमार ने भारतीय अर्थव्यवस्था और उससे उपजी समस्याओं को लेकर अपने वक्तव्य में कहा कि अर्थव्यवस्था किसी भी देश और समाज की धुरी होती है बगैर अर्थ के हम अपनी कोई व्यवस्था संचालित नहीं कर सकते । इस कठिन समय में अर्थव्यवस्था की ओर भी ध्यान दिया जाना है । एक अर्थशास्त्री होने के नाते उन्होंने अर्थ और समाज के अन्योन्याश्रित सम्बन्धों पर जोर दिया । एम.जी.एम.पीजी.कॉलेज,संभल के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर और बाल साहित्यकार डॉ. फ़हीम अहमद ने इस महामारी के दौर में साहित्यकार के सामाजिक दायित्वों पर प्रकाश डाला । डॉ. फ़हीम ने कहा कि जब आज स्थितियाँ विपरीत हुईं हैं तो ऐसे समय में साहित्यकार का यह नैतिक धर्म हो जाता है कि वह समाज में समन्वय स्थापित करने का प्रयास करे । इस लाकडाउन के समय विद्यार्थियों में तनाव है । वे अपने कैरियर को लेकर चिंतित हैं । चिंता होना स्वाभाविक भी है लेकिन फिर भी धैर्य के साथ मिलकर इसका सामना करना होगा यह बातें जेपीबीएस कॉलेज,लखनऊ की असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ. निष्ठा ने कही । वहीं कानपुर विश्वविद्यालय के शोध छात्र प्रेम सिंह ने अपने आलेख के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था और जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला । उनके पूरे वक्तव्य में एक गंभीर शोधार्थी की झलक दिखाई पड़ी । राजकीय डिग्री के अतिथि प्राध्यापक और मनोवैज्ञानिक डॉ. आदिल अज़ीज़ ने मनोवैज्ञानिक ढंग से कोरोना वायरस का शिक्षा व्यवस्था पर पड़ते प्रभावों को रेखांकित किया तो वहीं राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष अजय कुमार ने राजनीति और समाज की गहरी समीक्षा की । डॉ. हफ़ीज रहमान,समीन सफी,नेहा चौधरी,जान्ह्वी सिंह ने आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और जनजीवन से जुड़ी समस्याओं से सभी को रूबरू कराया ।
कार्यक्रम के संयोजक और हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप कुमार सिंह अपने वक्तव्य में भावुक रहे । ग्रामीण अर्थव्यवस्था उनकी चिंता के केंद्र में रही । उन्होंने कहा कि जब आज मानवजाति इस कठिन परिस्थिति से गुज़र रही है तो सयंम से काम लेना है । कामगार और श्रमिक बंधु हमारे विकास की रीढ़ हैं पूरे समाज को तन,मन धन से उनकी सहायता करनी चाहिए । यह संकट भी बहुत दिन नहीं रहेगा । वे भी हमारे भाई हैं उनका दुःख भी अपना दुःख हो हम सबको अपने मन में ऐसा भाव रखना है । हमें संकल्प लेना होगा कि कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे । युवा वर्ग को आगे आना होगा क्योंकि भारत युवाओं का देश है और उन्हीं के कंधों पर देश का भार है । हमें अपने अतीत से सीख लेना होगा । यह संकट टल जाएगा जल्द ही लेकिन हमें अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करना होगा करुणा, संवेदना, दुःख-दर्द, निराशा आदि की स्थिति में क्या हमें आह या वाह से काम चलाना चाहिए या फिर उसके निहितार्थ तक जाकर अपने भाव का संप्रेषण करना चाहिए । आज की स्थिति करुणा और त्रासदी की महागाथा है जो हमारे मन में अंदर तक सालती हैं । यह वैश्विक संकट परिस्थितिजन्य है किसी की आलोचना, प्रत्यालोचना करना कहाँ तक न्यायसंगत है इस विषय पर भी हमें दृष्टि निक्षेप कर लेना चाहिए । चाहे सरकारें हों, स्वयंसेवी संस्थाएँ हो या व्यक्तियों का निजी प्रयास हो सभी जी जान से जुटे हैं । आरोप-प्रत्यारोप करके हम किस धरातल पर खड़े होते हैं क्या इस बात पर कभी विचार करते हैं ? इधर कुछ मनीषी कह रहे हैं कि बाहर से आने वाले श्रमिक बंधु कोरोना फैलाएंगे ? मैं बहुत दूर की बात नहीं कह रहा हूँ केवल अपने आसपास की बात करूं तो हमारे कितने नौजवान भाइयों के पास उन श्रमिक बन्धुओं को व्यवस्थित करने का रोड मैप है ? क्या हम ऐसा नहीं कर सकते हैं कि प्रत्येक गाँव में कुछ पढ़े लिखे लोग आगे आकर उन बाहर से आने वाले लोगों को जागरूक करते हुए उन्हें एकांतवास और शारीरिक दूरी के लिए प्रेरित कर सकें ? यह बहुत कठिन नहीं है बस हमारे अंदर जज़्बा होना चाहिए । यदि हम शिक्षित हैं तो समाज के लिए हमारा फ़र्ज़ बनता है । समाज का हम सबके ऊपर कर्ज है जिसे हम 'नर सेवा' द्वारा ही उतार सकते हैं । उन्होंने कहा यकीन मानिए आप केवल अपने गाँव को संभाल लें मैं विश्वास दिलाता हूँ कोरोना हारेगा । रही बात आलोचना या निंदा की तो वो होती रहेगी । विश्वास मानिए नौजवान साथियों आगे बढ़िए, कारवाँ निकल पड़ेगा । आपके जज़्बे को लोग सलाम करेंगे । बस आपको अपने आसपास लोगों को संभालना है । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आर. के.चौधरी ने बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और श्रमिकों के सामने उत्पन्न कठिनाइयों की ओर इंगित किया तथा गाँवों को विकास के रास्ते पर लाकर मेहनतकश लोगों की स्थिति को सुधारने पर जोर दिया । सभी प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए डॉ. संदीप ने प्राचार्य जी के प्रति हार्दिक आभार जताया । उन्होंने कहा कि इतने अच्छे कार्यक्रम के संयोजन की जिम्मेदारी देकर मेरा मान बढ़ाया और तकनीकी सहायक राहुल कुमार के प्रति भी उन्होंने कृतज्ञता प्रकट की और कहा कि बगैर तकनीकी ज्ञान के इतने सफल कार्यक्रम की कल्पना संभव नहीं थी । इतने कम समय में राहुल ने सब चीजें व्यस्थित कर लीं । झारखंड, बिहार, चंडीगढ़, जम्मू,पंजाब, उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों प्रतिभागी जुड़े । डॉ. चंद्रेश्वर,डॉ. आर.पी.द्विवेदी डॉ. पंकजवासिनी डॉ.शैल कुमारी वर्मा,डॉ. सुशान्त कुमार,डॉ. अल्पना सिंह,डॉ.महेंद्र,डॉ. आलोक सिंह, खुशबू सिंह आदि विद्वानों और प्रतिभागियों के गंभीर चिंतन से कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ ।
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Vibhooti narayan ojha
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