*गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के संस्कृत विभागाध्यक्ष हैं प्रो मुरली मनोहर पाठक.
प्रयागराज । दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मुरलीमनोहर पाठक को हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग, प्रयागराज द्वारा संस्कृत महामहोपाध्याय की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया।यह उपाधि संस्कृत भाषा एवं साहित्य के प्रचार-प्रसार के क्षेत्र में उनके द्वारा की गई उल्लेखनीय सेवाओं के उपलक्ष्य में दी गयी।
प्रयागराज । दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मुरलीमनोहर पाठक को हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग, प्रयागराज द्वारा संस्कृत महामहोपाध्याय की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया।यह उपाधि संस्कृत भाषा एवं साहित्य के प्रचार-प्रसार के क्षेत्र में उनके द्वारा की गई उल्लेखनीय सेवाओं के उपलक्ष्य में दी गयी।
ज्ञातव्य है कि प्रोफ़ेसर पाठक गोरखपुर -बस्ती मंडल के इस उपाधि को प्राप्त करने वाले प्रथम व्यक्ति हैं।यह सम्मान प्रतिवर्ष सम्मेलन के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ प्रभात शास्त्री के जन्मदिवस पर आयोजित समारोह में दिया जाता है ।
हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग की स्थापना महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने वर्ष 1910 में वाराणसी में की थी।वर्ष 1911 में यह स्थानांतरित होकर प्रयाग आ गया।इसके प्रथम अध्यक्ष मालवीय जी स्वयं थे तथा प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन ने महनीय कार्य किया।इसके बाद डॉ प्रभात शास्त्री ने इसे उच्च शिखर तक पहुंचाया ।वर्ष 1947 से 1971 तक यह संस्था भारत सरकार के नियंत्रण में थी किंतु उसके बाद स्वायत्त हो गई।
भारत तथा विदेशों में इसकी सैकड़ों इकाइयां कार्य कर रही हैं।यहां से प्रथमा,विशारद,उत्तमा(साहित्य रत्न)इत्यादि उपाधियां अध्ययनोपरान्त प्राप्त की जाती रही हैं। महामहोपाध्याय यहां की सर्वोच्च उपाधि है।संप्रति प्रोफेसर सूर्य प्रसाद दीक्षित इस के सभापति तथा पंडित विभूति मिश्र प्रधानमंत्री के रुप में कार्य कर रहे हैं।
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