( जैक लंडन की कहानी " द चिनागो " का अंग्रेज़ी से हिंदी में " वह चिनागो " शीर्षक से अनुवाद )
" प्रवाल विकसित होता है , ताड़ बढ़ता है , लेकिन मनुष्य प्रयाण कर जाता है ।"
-- ताहिती की कहावत ।
अह चो फ़्रांसीसी नहीं समझता था ।वह बेहद थकामाँदा और उकताया हुआ , अदालत के भरे हुए कमरे में लगातार विस्फोटक फ़्रांसीसी सुनते हुए बैठा था , जिसे कभी एक अधिकारी और कभी दूसरा बोलता था । अह चो केलिए यह केवल बहुत ज़्यादा बड़बड़ाहट थी , और वह फ़्रांसीसी लोगों की मूर्खता पर आश्चर्यचकित था जो चुंग गा के हत्यारे का पता लगाने में इतनी देरी कर रहे थे , और जिन्होंने उसका पता बिल्कुल नहीं लगाया । बाग़ान केपाँच सौ क़ुली जानते थे कि अह सेन ने यह हत्या की थी और यहाँ यह हाल था कि अह सेन को गिरफ़्तार तक नहीं किया गया था । यह सच था कि सभी कुलियों ने एक दूसरे के विरुद्ध गवाही नहीं देने की बात गुप्त रूप से मानली थी , पर फिर भी यह पता लगाना बेहद आसान था और फ़्रांसीसी लोगों को यह खोज निकालने में समर्थ होना चाहिए था कि अह सेन ही वह व्यक्ति था । ये बेहद मूर्ख थे, ये फ़्रांसीसी ।
अह चो ने ऐसा कुछ नहीं किया था जिसके लिए वह भयभीत होता । हत्या में उसका कोई हाथ नहीं था । यह सच है कि वह उस समय वहाँ मौजूद था , और बाग़ान का निरीक्षक स्केमर ठीक उसके बाद दौड़कर बैरक में आयाथा और चार या पाँच अन्य कुलियों के साथ उसे वहाँ पकड़ा था , पर उससे क्या होता है ? चुंग गा को केवल दो बार छुरा मारा गया था । यह बुद्धि की कसौटी पर खरा उतरता था कि पाँच या छह आदमी छुरों के दो घाव नहीं लगासकते थे । यदि एक व्यक्ति ने केवल एक बार छुरा मारा था तो ज़्यादा से ज़्यादा केवल दो आदमी ही ऐसा कर सकते थे ।
अह चो ने यही तर्क सोचा था , जब उसने और उसके चार साथियों ने घटने वाली घटना के सम्बन्ध में अदालत को दिए गए अपने बयानों में झूठ बोला था और तथ्यों को अवरुद्ध और धुँधला कर दिया था । उन्होंने हत्या कीआवाज़ें सुनी थीं , और स्केमर की तरह वे उस जगह की ओर दौड़े थे । वे स्केमर से पहले वहाँ पहुँच गए थे -- केवल यही बात थी । सच है , स्केमर ने बयान दिया था कि जब वह वहाँ से गुज़र रहा था तो झगड़े की आवाज़ सेआकृष्ट हो कर वह कम से कम पाँच मिनट तक बाहर खड़ा रहा था और तब , जब वह भीतर गया , उसने क़ैदियों को पहले से ही भीतर पाया । स्केमर ने अपने बयान में यह भी कहा था कि क़ैदी ठीक पहले भीतर नहीं गए थेक्योंकि वह बैरक के एकमात्र दरवाज़े के पास खड़ा रहा था । पर उससे क्या होता है? अह चो और उसके चारो साथी-क़ैदियों ने बयान दिया था कि स्केमर भ्रम में था और ग़लत था । अंत में उन्हें जाने दिया जाएगा । वे सभीइसके प्रति आश्वस्त थे । छुरे के दो घावों के लिए पाँच आदमियों से उनके सिर नहीं काटे जा सकते थे । इसके अलावा किसी विदेशी शैतान ने हत्या होते हुए नहीं देखी थी । पर ये फ्रांसीसी लोग कितने मूर्ख थे । जैसा कि अह चोअच्छी तरह जानता था , चीन में दण्डाधिकारी उन सबको यंत्रणा देने का आदेश दे देता और सच्चाई जान लेता । उत्पीड़न के द्वारा सच्चाई जानना बेहद आसान था । मगर ये फ़्रांसीसी लोग यातना नहीं देते थे -- बहुत बड़े मूर्खथे ये । इसलिए ये कभी नहीं जान पाएँगे कि कि चुंग गा की हत्या किसने की ।
पर अह चो सब कुछ नहीं समझता था । बाग़ान का स्वामित्व रखने वाली कंपनी ने काफ़ी बड़े खर्चे पर ताहिती में पाँच सौ कुलियों का आयात किया था । शेयर-होल्डर लाभांश के लिए शोर मचा रहे थे , और कंपनी ने अब तककोई लाभांश अदा नहीं किया था । इसलिए कंपनी यह नहीं चाहती थी कि उसके क़ीमती अनुबंधित मज़दूर एक-दूसरे को मारने की प्रथा शुरू कर दें । साथ ही, वहाँ चिनागो लोगों पर फ़्रांसीसी क़ानून की ख़ूबियाँ और श्रेष्ठताथोपने के लिए उत्सुक और इच्छुक फ़्रांसीसी भी थे । कभी-कभार उदाहरण स्थापित करने से ज़्यादा अच्छा कुछ नहीं था ।इसके अलावा , इंसान होने और नश्वर होने के कारण सजा के भुगतान के तौर पर लोगों को अपने दिनदुर्दशा और दुख में बिताने के लिए भेजने के सिवाय न्यू कैलेडोनिया और किस काम का था ?
अह चो यह सब नहीं समझता था । वह अदालत के कमरे में बैठा विस्मयकारी न्याय की प्रतीक्षा कर रहा था जो उसे और उसके साथियों को वापस बाग़ान पर जाने और और अनुबंध की शर्तों को पूरा करने के लिए मुक्त करदेगी । यह फ़ैसला जल्दी ही दे दिया जाएगा । कार्यवाही समाप्ति की ओर घिसट रही थी । वह यह देख सकता था । अब न और बयान दिए जा रहे थे , न और लोगों की बड़बड़ सुनाई दे रही थी । फ़्रांसीसी शैतान भी थक गए थेऔर स्पष्ट रूप से निर्णय की प्रतीक्षा कर रहे थे । और जब वह इंतज़ार कर रहा था तो उसने अपने जीवन के उस पिछले समय को याद किया जब उसने अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे और जहाज़ में बैठ कर ताहिती के लिएरवाना हुआ था । उसके समुद्र-तटीय गाँव में समय बेहद कठिन रहा था , और तब उसने ख़ुद को सौभाग्यशाली माना था जब उसने दक्षिणी समुद्र में पचास मेक्सिकी सेंट प्रतिदिन पर पाँच सालों के लिए मेहनत-मज़दूरी करने केलिए ख़ुद को करारबद्ध किया था ।
उसके गाँव में ऐसे पुरुष थे जो दस मेक्सिकी डाॅलर के लिए साल भर कड़ी मेहनत करते थे , और ऐसी औरतें थीं जो पाँच डाॅलर पाती थीं और यहाँ उसे एक दिन का पचास सेंट मिलना था । एक दिन के काम के एवज़ में , केवल एक ही दिन के काम के लिए उसे वह राजसी धन-राशि मिल जानी थी । अगर काम मुश्किल था तो क्या हुआ ? पाँच सालों के अंत में वह घर लौट आएगा -- यह अनुबंध में लिखा था -- और उसे दोबारा कभी यह काम नहींकरना पड़ेगा । वह जीवन भर के लिए एक अमीर आदमी हो जाएगा , जिसका अपना एक घर होगा , पत्नी होगी , और सयाने हो रहे बच्चे होंगे जो उसका आदर करेंगे । हाँ, और घर के पिछवाड़े में उसका एक छोटा बग़ीचा होगा, सोचने-विचारने और आराम करने की एक जगह , और एक बहुत छोटे ताल में सोन-मछलियाँ होंगी । पेड़ों में हवा से बजने वाली घंटियाँ टनटनाएँगी , और चारो ओर एक ऊँची दीवार होगी ताकि उसका सोचना-विचारना औरआराम करना शांत और अक्षुब्ध रहे ।
ख़ैर , उसने उन पाँच सालों में से तीन साल बिता लिए थे । अपनी कमाई के द्वारा वह अपने देश में अभी से एक धनी आदमी हो गया था , और ताहिती में कपास के बाग़ान और उसकी राह देख रहे सोचने-विचारने औरआराम करने के बग़ीचे के बीच में केवल दो साल और पड़ते थे । लेकिन ठीक इस समय वह चुंग गा की हत्या के समय मौजूद रहने की बदक़िस्मत दुर्घटना के कारण रुपए-पैसे खो रहा था । वह तीन हफ़्ते से जेलखाने में पड़ा था, और उन तीन हफ़्तों में से प्रत्येक दिन के लिए उसने पचास सेंट खोए थे । पर अब जल्दी ही फ़ैसला सुना दिया जाएगा , और वह वापस काम पर चला जाएगा ।
अह चो की उम्र बाईस साल थी । वह ख़ुशमिज़ाज और अच्छे स्वभाव का था , और उसके लिए मुस्कराना आसान था । हालाँकि उसका शरीर एशियाई ढंग से छरहरा था , पर उसका चेहरा गोल-मटोल था । वह चाँद की तरहगोल था और वह एक सौम्य भद्रता और आत्मा की मधुर सहृदयता को आलोकित करता था जो उसके हमवतनों में विरल थी । उसके चेहरे का रूप-रंग भी उसे झूठा साबित नहीं करता
था । उसने कभी गड़बड़ी नहीं फैलाई थी , कभी लड़ने-झगड़ने में भाग नहीं लिया
था । वह जुआ नहीं खेलता था । उसकी अंतरात्मा उतनी निष्ठुर नहीं थी जितनी एक जुआरी की होनी चाहिए । वह साधारण चीज़ों और सामान्य इच्छाओं से संतुष्ट था । कपास के दहकते खेत में कड़ी मेहनत करने के बाद शामकी शीतलता में मौजूद नि:स्तब्धता और शांति उसे असीम संतोष देती थी । वह किसी अकेले फूल को एकटक देखते हुए और अस्तित्व के गूढ़ रहस्यों और पहेलियों पर चिंतन करते हुए घंटों बैठा रह सकता था । रेतीले समुद्र-तट के एक बहुत छोटे अर्द्ध-चंद्राकार पर खड़ा एक नीला बगुला, उड़न मीन की रुपहली उछाल, या समुद्रताल के उस पार एक मोतिया और गुलाबी सूर्यास्त उसे इतना सम्मोहित कर सकते थे कि वह थकाऊ दिनों के जुलूस औरस्केमर के भारी कोड़े के प्रति पूरी तरह भुलक्कड़ हो जाए । स्केमर, कार्ल स्केमर , एक पशु था , एक बर्बर पशु । पर वह अपना वेतन कमाता था । वह उन पाँच सौ ग़ुलामों से ताक़त का अंतिम क़तरा निचोड़ लेता था क्योंकि वे तब तक ग़ुलाम ही थे जब तक कि उनके पाँच सालों कीअवधि समाप्त नहीं हो जाती । स्केमर कड़ी मेहनत करता था ताकि वह उन पाँच सौ पसीना बहाते शरीरों से शक्ति निचोड़ सके और निर्यात के लिए तैयार कपास के रोयेंदार गट्ठों में उसके स्वरूप को बदल सके । यह उसकीप्रबल, कदाचित आदिम पाशविकता ही थी जो उसे स्वरूप-परिवर्तन को लागू करने की ताक़त देती थी । साथ ही , उसे तीन इंच चौड़े और गज भर लम्बे चमड़े के एक मोटे पट्टे की सहायता प्राप्त थी जिसके साथ वह चलता थाऔर जो समय-समय पर किसी झुके हुए क़ुली की नंगी पीठ पर पिस्तौल की गोली की तरह धड़ाके के साथ गिरती थी । ये धड़ाके तब लगातार होते जब स्केमर घोड़े पर सवार हो कर खांचेदार खेत से गुज़रता था । एक बार, अनुबंधित श्रम के पहले साल के शुरू में , उसने एक क़ुली को मुक्के के एक ही वार से मार डाला था । उसने उस आदमी के सिर
मूल लेखक : जैक लंडन
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अनुवाद : सुशांत सुप्रिय
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