रिपोर्ट: चक्रपाणि ओझा
देवरिया। प्रसिद्ध साहित्यकार, चिंतक और विचारक प्रो.पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहा है कि धर्म डर की नहीं कृतज्ञता की अभिव्यक्ति है। कृतज्ञता मनुष्य का लक्षण है। धर्म और संस्कृति का संबंध गहरा है।
प्रो.अग्रवाल सोमवार को देवरिया जिले के सिरजम गांव स्थित सुभाश्रम परिसर में आयोजित 'धर्म का मर्म' विषयक व्याख्यान माला में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। उन्होंने धर्म के मर्म पर बोलते हुए कहा कि हमारे जीवन में पुनर्जागरण हमेशा चलता रहता है,हम मानवता के अनुभव से सीखते हैं। उन्होंने विवेक के बारे में बताते हुए कहा कि समग्र मानवता के अनुभव से जो हम अर्जित कर सकें वही विवेक है। धर्म का मर्म विवेक ही है। समाज में कुछ लोग अविवेक को बढ़ावा देते हैं।
प्रो.अग्रवाल ने कहा कि विवेक का अर्थ है मानवीय परंपरा से सीखते हुए यह साहस जुटाना की संकट की स्थिति में क्या किया जाए। धर्म का मर्म हमारे चित्त में है। धर्म का मर्म विवेक को मनाना होगा ऐसा विवेक जो सबके हित में हो। उन्होंने असहमति के साहस का जिक्र करते हुए कहा कि जो हमारे विवेक को स्वीकार्य ना हो उसे नहीं मानना चाहिए। प्रो.अग्रवाल ने हिंदू धर्म की चर्चा करते हुए कहा कि हिंदू धर्म की ताकत यह है कि यहां सत्ता तंत्र नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस चीज का विकल्प नहीं होता है वह है आध्यात्मिक वेदना।तकनीक जितनी बढ़ेगी आध्यात्मिक वेदना उतनी ही बढ़ेगी। जितनी तकनीक बढ़ेगी उतनी ही हमारी चेतना घटेगी।
प्रो.अग्रवाल ने कहा कि धर्म सामाजिक और सांस्कृतिक मामला है यह निजी मामला नहीं है यह एक सामाजिक लोकाचार है।आस्था व्यक्तिगत होती है धर्म नहीं,हमें गलतफहमियों से दूर रहना चाहिए। हिंसा के सवाल पर उन्होंने कहा कि हिंसा अधर्म का लक्षण है।धार्मिक कट्टरता पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने बताया कि यह समस्या केवल भारत के लिए चिंता की बात नहीं है यह एक वैश्विक समस्या है। अमेरिका जैसे देश में भी कट्टरता और मूर्खता पायी जाती है। उन्होंने कहा कि मजहब ही हमें आपस में बैर रखना सिखाते हैं, सभी धर्म जीवन पद्धति हैं कोई एक धर्म ऐसा नहीं है।
आयोजन में एक सत्र श्रोताओं से संवाद का भी रहा। इस दौरान अनेक शोधार्थियों,शिक्षकों व महिलाओं ने अपने सवाल किये जिसका संतोषजनक उत्तर मुख्य वक्ता ने विस्तार से दिया।
कार्यक्रम का संचालन व आभार ज्ञापन आयोजक व प्रसिद्ध कथा वाचक अखिलेश मणि शांडिल्य ने किया। इसके पूर्व मुख्य वक्ता प्रो.पुरुषोत्तम अग्रवाल का स्वागत दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष व आचार्य डा.अनिल राय ने माल्यार्पण व उत्तरीय भेंटकर किया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र दुबे भाऊ, डा.चतुरानन ओझा,मनोज कुमार सिंह, विकास दूबे, उद्भव मिश्र, सरोज पाण्डेय, सुयस मणि, सिद्धार्थ मणि, डा.आलोक पाण्डेय, बृजेन्द्र मणि त्रिपाठी,राजू मौर्य सहित अनेक विशिष्ट व गणमान्य लोगों के साथ सैकड़ों ग्रामीण व आसपास के जिलों से लोग तथा अनेक शोध छात्र मौजूद रहे।
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