पतहर

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गोरक्षपीठ के मनीषियों का व्यक्तित्व व कृतित्व स्मरणीय : प्रो संजीत गुप्त

* गोरक्षपीठ सामाजिक चेतना का प्रमुख केन्द्र

* यदि हमें एक भारत श्रेष्ठ भारत का निर्माण करना है तो हमें अपने आदर्श दिग्विजयनाथ जी व अवेद्यनाथ जी के बताये रास्ते पर चलना ही होगा

* ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी व अवैद्यनाथ जी की पुण्य स्मृति व्याख्यानमाला का उद्घाटन सत्र

गोरखपुर। गोरक्षपीठ सामाजिक समरसता व चेतना का प्रमुख केन्द्र है। महंत दिग्विजयनाथ जी एवं अवैद्यनाथ जी महाराज ने समाज में समरसता व हिदुत्व सम्बन्धित कार्य जीवन पर्यन्त किया। दोनो ऐसे संत पुरूष रहे है जिनके लिए समाज, राष्ट्र व धर्म मूल्य रहे है। उनका व्यक्तित्व व कृतित्व स्मरणीय है।

 उक्त विचार दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय वाणिज्य विभाग के आचार्य प्रो संजीत कुमार गुप्त ने व्यक्त किया। वे सोमवार को दिग्विजयनाथ एलटी प्रशिक्षण महाविद्यालय में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी व अवेद्यनाथ जी महाराज की पुण्य स्मृति व्याख्यानमाला के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहें थे।


उन्होने आगे कहा कि अवेद्यनाथ जी सामाजिक समरसता के अग्रदूत थे। जब हम किसी को युग पुरूष कहते है तब इसका मतलब है कि वे सिद्ध पुरूष है। जितना समाज समृद्ध होगा उतना ही राष्ट्र भी समृद्ध होगा। जी सभी को सम्मान देते थे चाहे वो राजा डोम के यहां सहभोज का आयोजन हो या पीएसी विद्रोह की घटना हो। सभी क्षेत्रों में उनका अतुलनीय योगदान रहा। 


     राम जन्म भूमि की चर्चा करते हुये उन्होंने कहा कि राम आस्था के प्रतीक है। समाज को चलाने के लिए हमें राम को भी समझना होगा। राम मंदिर न केवल धर्म का केन्द्र है बल्कि भारतीय संस्कृति व आस्था का भी प्रतीक है। उन्होंने कहा कि ये महापुरूष ऐसे संत रहे है जिन्होने हिन्दू धर्म व को नई राह दिखाई है।

  दिग्विजयनाथ जी महाराज की चर्चा करते हुए उन्होने कहा कि वे आदर्श पुरूष ही नहीे बल्कि सफल राजनीतिज्ञ व शैक्षिक विचारक भी रहे। उनके द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किया गया योगदान हम सभी के लिए पथ-प्रदर्शक की भूमिका में है। महाराणा प्रताप षिक्षा परिषद के रूप में उन्होने जो शिक्षा की अलक जगाई उसे निरन्तर गति देने का काम गोरक्षपीठाधीश्वर व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी कर रहें है। गुरू गोरखनाथ विश्वविद्यालय इसका उदाहरण है। 

   उन्होंने कहा कि यदि हमें एक भारत श्रेष्ठ भारत का निर्माण करना है तो हमें अपने आदर्श दिग्विजयनाथ जी व अवेद्यनाथ जी के बताये रास्ते पर चलना ही होगा। वे ऐसे महापुरूष थे जिन्होने समाज व राष्ट्र को एक नई सोच व दिशा दी।


    कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये डीवीएनपीजी काॅलेज के पूर्व प्राचार्य डाॅ शैलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि गोरक्षपीठ से जुड़े महन्त दिग्विजयनाथ व अवेद्यनाथ समाजिक व सांस्कृतिक चेतना को आगे बढाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि इनकी प्रेरणा से गोरक्षपीठाधीश्वर व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समाज में सबका साथ व सबका विकास की भावना से काम कर रहें है। वर्तमान परिस्थिति मेें जनता को लाभान्वित करने का जो भी कार्य किया जा रहा है उसमें कोई भी भेदभाव नहीं है। ये संत पुरूष हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत है। इनके द्वारा बताया गये मार्ग का हम सभी को अनुसरण करना चाहिए। 


     पाँच दिवसीय स्मृति व्याख्यान माला कार्यक्रम का शुभारम्भ महंत द्वय के चित्र पर पुष्पार्चन कर हुआ। अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम संयोजक डाॅ अनीता सिंह व स्वागत गीत बीएड के प्रशिक्षुओ के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ० मदुसुदन सिंह तथा आभार ज्ञापन प्राचार्य डाॅ अजय कुमार पाण्डेय ने किया।

    इस अवसर पर महाविद्यालय से जुड़े डाॅ० सुनील केशरवानी, डाॅ० प्रेम त्रिपाठी, श्रीमती ममता श्रीवास्तव, डाॅ०अमित कुमार सिंह, डाॅ अभिलाषा कौशिक, डाॅ शिव प्रताप सिंह, डाॅ बबिता दीप श्रीवास्तव, श्री शत्रुध्न सिंह सहित बीएड व एमएड के प्रशिक्षु आन लाइन व आंफ लाइन के माध्यम से जुड़े रहे।

 कार्यक्रम में दूसरे दिन मंगलवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और महंत दिग्विजयनाथ जी विषय पर डाॅ राजशरण शाही शिक्षा शास्त्र विभाग, भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ का आनलाईन व्याख्यान पूर्वाह्न 11ः00 बजे से होगा।

रिपोर्ट: विभूति नारायण ओझा.

hindipatahar@gmail.com

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