पतहर

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तेरे पायल की झंकार / प्रस्तुति : नेहा ओझा

राही बस्तावी जी के गीत "तेरे पायल की झंकार" का उत्तर देने का प्रयास किया है ..😊 😀 

(प्रस्तुति: नेहा ओझा)

नही रहना तेरे अनुसार 
अरे रे बाबा ना बाबा 
इक तू ही नही आधार 
अरे रे बाबा ना बाबा 

स्वर कोकिला बनकर मैं आई
ये बात नही तुझको भाई 
तेरा तेवर कब्जा जैसा 
मैं ठहरी इक लक्ष्मीबाई
तेरा कौन करे उद्धार 
अरे रे बाबा ना बाबा
इक तू ही नही आधार 
अरे रे बाबा ना बाबा 

मैं हवा से बातें करती हूँ 
तूफाँ से भी तेज चलती हूँ 
तू सोच न पाए जहाँ तक 
मैं वहाँ पे नजरें रखती हूँ 
तू खौफ में हैं दिन रात 
अरे रे बाबा ना बाबा 
इक तू ही नही आधार 
अरे रे बाबा ना बाबा

तुझे दिल की ये धड़कन देकर
रह पाऊँ नहीं दुल्हन बनकर 
तेरी चार दीवारी में तो 
मर जाऊंगी मैं घुट घुट कर 
तेरा मुझ पे नही अधिकार 
अरे रे बाबा ना बाबा 
इक तू ही नहीं आधार 
अरे रे बाबा ना बाबा 

किसी शायर की ग़ज़ल मुझमें
निर्मल सा गंगाजल मुझमें 
मैं खुद में थोड़ा झाँकूं 
तो लगे कि हजरत महल मुझमें 
तेरे वश में नहीं मैं यार
अरे रे बाबा ना बाबा 
इक तू ही नही आधार 
अरे रे बाबा ना बाबा 

नैनो में मेरी बसती हाला 
ईश्वर ने ऐसा बना डाला 
मेरी गलती इसमे क्या है
पंडित की अगर छूटी माला 
मेरी चाह में सब बीमार 
अरे रे बाबा ना बाबा 
इक तू ही नही आधार
अरे रे बाबा ना बाबा 
         @ नेहा ओझा.
(https://www.facebook.com/100005916363322/posts/1144136862460182/) से साभार।

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