ये क्लास की पहली बैंच वाली लडकियाँ.......
अफेयर, फ्लर्ट से दूर
अनुशासन में ढलीं
नाक पर चश्मा चढातीं उतारतीं
किताबों से जूझतीं
कापी कलम से जंग लडतीं
सर्दी गर्मी आँधी तूफान
हर लेक्चर अटैंड करतीं
हर तमगे पे अपना नाम लिखातीं
हर सपने को पूरा करतीं
हर जीत का जश्न मनातीं
उसूलों की पक्की
अपनी धुन में मगन
सबकी पहली पसंद
हर चिन्ता से दूर
सबसे बतियातीं
हँसतीं खिलखिलातीं ठहाके लगातीं
विश्वास से भरीं
लम्बे मजबूत डग भरतीं
न जाने कैसे
ससुराल की देहरी में
रखे पहले कदम पर ही
लडखडा जातीं हैं !
सब्जी में नमक के पहाड खडे करतीं
दाल में पानी की नदियाँ बहातीं
आटे में दलदल सानतीं
रोटी में नक्शे बनातीं
चाय में चाशनी मिलातीं
अधपके चावल उतारतीं
दूध लगातीं, खीर जलातीं
कच्चा-पक्का बनातीं, खातीं-खिलातीं
रसोई का मुँह देखते ही पीली जर्द हो जातीं हैं !
सिर का पल्लू बार बार फिसलातीं
हर बार कलाई की चूडी मौलातीं
अँगूठी, पायल गुमातीं
साडी में उलझतीं
बिछुओं में अटकतीं
अल्हड अदाओं से अनजान
तिरया चरित्तर में फिसड्डी
ढोलक पे ढप ढप करतीं
अनजान बगिया में सूखे पत्ते सी कपकपाँ जातीं हैं !
ये पहली पंक्ति वाली लडकियाँ
बौडम-बेढब-बेतरतीब का ठप्पा लगवाये
जिन्दगी के सफर में
पीछे बहुत पीछे धकेल दी जातीं हैं !!
(कुसुम शुक्ला के फेसबुक वॉल से साभार)https://www.facebook.com/100009083851189/posts/2183715581941216/
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