पतहर

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'शब्द- शब्द प्रतिरोध' कविता का ज्वलंत दस्तावेज है

:कृति परिचय:

"साहित्य प्रतिरोध एक सशक्त काव्यधारा की चली आती हुई परंपरा है जिसका निर्वहन करना जागरूक कलमकारों के लिए बेहद जरूरी है। साहित्य में प्रतिरोध सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक असमानता के कारण उपजता है।" कविता की मूल आत्मा लोक कल्याण है। वही कविता कालजयी बन पाती है जो लोक से जुड़ी रहकर हाशिए की आवाज उठाए । प्रतिरोधी अभिव्यक्ति की रचनाएँ हाशिये की समाज की सदियों से दबाई गयी निर्बल की अभिव्यक्ति की हुंकार बनकर शोषक वर्ग के विरुद्ध क्रान्ति का उद्घोष करती हैं।
           'प्रतिरोध' काव्य संग्रह आज के सामयिक समय का प्रतिरोधी दस्तावेज है। भारतीय सभ्य समाज की विचारधारा का विद्रूप चेहरा गैर बराबरी के आईने में बखूबी देखा जा सकता है जहां जाति और वर्ण मनुष्य का ओहदा तय करते हैं और योग्यता को दरकिनार किया जाता है। समाज आज 21वीं सदी के द्वार पर खड़ा है लेकिन हमारा समाज आज भी आदिम जिजीविषा के साथ जी रहा है। सदियों से चली आती घिसी पिटी दकियानूसी परम्पराओं को ध्वस्त करने की जगह उन्हें सहेजने में ही श्रेष्ठ होने के दम्भ में जी रहे लोग न जाने कब समझेंगे कि मनुष्य के साथ भेदभाव करना असंवैधानिक है क्योंकि देश अब संविधान से चलता है।
इस काव्य संग्रह में जिन कवियों की रचनाएँ संकलित हैं वे आज की समकालीन काव्यधारा के महत्वपूर्ण कवि हैं। समाज में हो रहे उथल पुथल को गहराई से महसूस करते हुए यह कवि केवल रचना लिखते ही नहीं वरन समय से आंख मिलाकर संवाद करते हैं। जहां कहीं भी गलत है उस पर गंभीर सवाल करते हैं। इनकी कविताओं का आस्वाद्य साहित्यिक धरातल पर यथार्थी परंपरा का अन्वेषण ही नहीं करती बल्कि व्यवस्था से सीधे सीधे विद्रोह करती हुई हाशिए के समाज के अधिकारों की पैरोकार करती हैं।
'शब्द शब्द प्रतिरोध' के कवियों की रचनाएँ सामाजिक सरोकार को सहज ढंग से प्रस्तुत करती हैं। ये कविताएं समाज में घटित हो रहे सामयिक वातावरण पर सटीक और सारगर्भित अभिव्यक्ति की अभिव्यंजना को ध्वनित ही नहीं करती वरन वर्तमान से आगे की समस्याओं से सावधान भी करती हैं। सरोकार को जीने वाले ये पांचों कवि कविता के मंझे हुए कलमकार हैं।
कविता की गहरी समझ और समय की सही पड़ताल करने वाले समकालीन महत्वपूर्ण कवि आर डी आनंद दलित साहित्य के क्रांतिधर्मी कवि , आलोचक और विचारक हैं। उनकी कविता की खास बात यह है कि कविता पढ़ते समय कवि समय से प्रभावी संवाद करता दिखता है। इनकी कविताएं जहां आक्रोश पूर्ण शैली में वर्णव्यवस्था को कोसती हैं वहीं समाज में समता के लिए समाधान भी प्रस्तुत करती हैं।  आंबेडकरवादी विचारधारा और मार्क्सवादी विचारधारा के सेतु बनकर उभरने वाले साहित्य के वे विरले कवि हैं ।
             जनवादी कविता के समकालीन हस्ताक्षर कवि प्रद्युम्न कुमार सिंह प्रगतिशील चेतना के सशक्त वाहक हैं। उनकी कविता के दायरे में उत्तरआधुनिक मूल्य से लेकर लोक की गहरी संचेतना परिलक्षित होती है। बदल रहे समाज और राजनैतिक परिदृश्य पर पैनी नजर रखने वाले कवि प्रद्युम्न जी की प्रतिरोधी विचारधारा की कविताएं बेहद तल्ख मिजाज की हैं। आज के दौर में उनकी लेखनी सरोकार का जो रूप प्रस्तुत कर रही है वह आने वाले समय में साहित्य का प्रबल अवलम्ब बनेगी । 
         महानगरीय बोध से दूर ग्राम्य अंचल के समकालीन कवि अरविंद यादव की कविताएं प्रतिरोध के नए तेवर से अवगत कराती हैं। समय के साथ चलते हुए समय को कविता में बांधना ही कवि की पहचान है। कविता जब कवि की पहचान बन जाती है तो स्वतः कवि का चेहरा सामने आ जाता है। कवि की पहचान पीछे चलती है और कवि की कविता आगे। उनकी कविताओं में प्रतिरोध का स्वर भी प्रखर रूप में उभरकर सामने आता है। 
        अरविंद भारती दलित साहित्य के सम्भावनाशील युवा कवि हैं। इनकी कविताएं दलित जीवन की जीवंत दस्तावेज हैं। स्वानुभूति की गहराई से उपजी इनकी कविताएं सीधे सीधे समाज की विघटनकारी शक्तियों से टकराती हैं। समाज में धर्म, जाति और गैर बराबरी के खात्मे के लिए इनकी कविताएं निरंतर युद्ध जारी रखती हैं। सरोकार की पैनी धार शब्द-शब्द में अनुगुंजित करने वाले यह कवि अपने समय को बखूबी प्रस्तुत करने में सफल हैं।
   अंत में कवि शिव कुशवाहा की रचनाएँ हैं जो समय के साथ सरोकार करते हुए प्रतिरोध की परंपरा को आगे बढ़ाने में प्रतिबद्ध हैं। प्रतिरोध के इस महादमनीय युद्ध में वरिष्ठ कवि आर डी आनंद, प्रद्युम्न कुमार सिंह, अरविंद भारती और अरविंद यादव के साथ शिव कुशवाहा की भी सार्थक रचनाएँ हैं।
     लोकोदय प्रकाशन  लखनऊ से  प्रकाशित इस काव्य संग्रह में पांच समकालीन कवियों आर डी आनंद, प्रद्युम्न कुमार सिंह, अरविंद भारती, अरविंद यादव और शिव कुशवाहा की रचनाएँ संग्रहीत हैं। साहित्य के सुधी पाठक कवि और इनकी कविताओं से रूबरू होंगे और इनके प्रतिरोध का सम्यक मूल्यांकन करेंगे। आशा है ये कविताएं समय और उसके प्रतिरोध को रेखांकित करने में सफल होंगीं..


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