पतहर

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लखनऊ पुस्तक मेला से लौट कर


किताबंे मनुष्य की सच्ची मित्र होती हैं। जिसके पास किताबे होती है वह कभी खाली नही रहता। यदि किताबें एक ही जगह मिल जाये ंतो इससे बेहतर और क्या ?इसे साकार करता ‘राष्ट्रीय पुस्तक मेला लखनऊ 2018‘ जो चारबाग स्थित रवीन्द्रालय में (5सितम्बर-14सितम्बर तक चलेगा)चल रहा है। इस पुस्तक में सभी की जरूरतों व रूचियों की किताबें उपलब्ध है। विभिन्न प्रकाशक अपने प्रकाशन की पुस्तकों के साथ स्टाल पर हैं। वैसे यह पुस्तक मेला गोपालदास नीरज को समर्पित है। मेले का साहित्यिक मंच प्रतिदिन विविध आयोजन कर रहा है। काव्यगोष्ठी,कहानी पाठ,लोकार्पण व अन्य साहित्यिक गतिविधियाॅ हो रही है। मेले मे सार्वाधिक रुप से कहानी उपन्यास व आलोचना की पुस्तके बिक रही हैं। प्रकाशकों ने भी महगें दामों के साथ सस्ती किताबे भी उपलब्घ करायी है। प्रकाशकों ने बताया कि इस बार के मेले में महिला रचनाकारों की किताबे ज्यादा बिक रही हैं। नासिरा शर्मा का उपन्यास ‘दूसरी जन्नत’ साहित्य भंडार इलाहाबाद ने छापा है। रविवार को यह पुस्तक स्टाल पर खत्म हो गयी, प्रकाशकं ने मंगाने की बात कही लेकिन स्टाल की अंतिम प्रति मुझे मिल गयी। मुन्नू भंडारी का ‘आपका बंटी’, मुल्कराज आनंद का ‘अछूत’ और मृणाल पाण्डेय का ‘रास्ते पर भटकते हुए’, कहाॅनियों में असगत वजाहत का ‘भीडतंत्र’ ,सआदत हसन मंटो की 25लोकप्रिय कहानियां,मैक्सिम गोर्की की ‘लोकप्रिय कहानियां’,मीडिया पर धन्नजय चोपडा की पुस्तक ‘यह जो मीडिया है’,वर्तिका नंदा की  ‘मीडिया और बाजार’,दर्शन पर देवी प्रसाद का भारतीय दर्शन,कौशल किशोर की गद्य कृति ‘प्रतिरोध की संस्कृति’,मुक्तिबोध की प्रतिनिधि कविताएं व अन्य कुछ किताबे अपने हाथ लगी। कुल मिलाकर पुस्तक मेले में महगांई का असर दिखालायी दे रहा ह,ै मंहगे दामों में छपी हुयी किताबे पाठकों को केवल देखने ंके काम आ रही है।प्रकाशकों को चाहिए था कि सामान्य के अपेक्षा मेले में कुछ अधिक छूट देते तो बिक्री मे बढोत्तरी होती। मेले मंे प्रकाशको ने हिन्दी,अंग्रेजी व ऊर्दू की किताबे तो उपलब्ध करायी है लेकिन संस्कृत को उपेक्षित रखा है। सिर्फ एक प्रकाशक ने संस्कृत साहित्यकारों के कुछ अनुदित किताबे लायीं हंै।
    वैसे पुस्तक मेले में इन प्रमुख प्रकाशकों के अलावा ओशो,ऊर्दू हिन्दी अकादमी, प्रसार भारती ,किड्स फैक्ट्ी,शब्दावली आयोग ,कला परिषद के भी स्टाल अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे है। मसीही समाज को प्रचारित व अपना मुख्यग्रंथ सभी तक पहुॅचाने के उद्देश्य से इस परिवार बाइबिल सबको निःशुल्क उपलब्ध करा रहे हंै।कुल मिलाकर परिसर में साहित्य व सांस्कृतिक माहौल कायम है।    
  -विभूति नारायण ओझा,संपादक-पतहर पत्रिका

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